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________________ 174 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ मेनिन्जिओमा : सादी गांठ कुछ मरीजों को एम.आर.आई. की केबिन में २० से ३० मिनिट सोते रहना अत्यंत कठिन लगता हैं, जिसे क्लोस्ट्रोफोबिआ कहते हैं । ऐसे संजोग में या छोटे बच्चों को कभीकभी नींद की दवाई या अल्प मात्रा में एनेस्थेसिया देकर ऐसी छबी ली जा सकती है । (३) लंबर पंक्चर द्वारा कमर के पानी की जाँच की जाती है, लेकिन अगर मस्तिष्क में सूजन अधिक हो तो यह जाँच हानिकारक हो सकती है । इसलिए ब्रेइन ट्यूमर के केस में इस प्रकार की जाँच की शक्यता बहुत कम होती है । मस्तिष्क में संक्रमण का इलाज जैसे कि मेनिन्जाइटिस, एन्सेफेलाइटिस इत्यादि में यह जाँच अत्यंत उपयोगी हैं । मस्तिष्क की गांठ के प्रकार : जैसे कि आगे बताया गया है, मस्तिष्क की गांठ केन्सरयुक्त अथवा बिना केन्सर (निर्दोष) ऐसे दो प्रकार की होती है । जो गांठ मस्तिष्क के उपर के भाग में होती है उन्हें सुप्राटेन्टोरियल कहतें है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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