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12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections)
151 बीमारी साथ लेकर वापस आया हो ऐसा भी कभी हो सकता है । अर्वाचीन चिकित्सा उपचार पद्धति की यह एक विपरीत असर है ।
फफूंद के लिए मुख्यतः एम्फोटेरेसीन, फ्लूसायटोसीन, फ्लूकोनाझोल वोरीकोनाझोल, केस्पोफन्गिन और स्पारनोक्स जैसी दवाई उपयोग में ली जाती है । इन दवाई का किडनी (मूत्रपिंड), लीवर और कान पर ज्यादा दुष्प्रभाव पडता है । इस वजह से उनका उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए । ( ४ ) वाइरल एन्सेफेलाइटिस :
यह एकदम तीव्र गति से होने वाली बीमारी है, जिसमें मरीज को बुखार आता है, व्यवहार में अचानक बदलाव आता है या डिप्रेशन होता है, प्रकाश से डर लगता है। यह सब के बाद मिर्गी की शुरूआत होती है, बाद में पक्षाघात का हमला हो
जाता है और मरीज बेहोशी वाइरल एन्सेफेलाइटिस
में सरक जाता है। मस्तिष्क
- के कोर्टेक्स को दीमक की तरह जल्दी से खतम कर देनेवाली यह बीमारी कोषों का भी नाश करती है। कभीकभी उसका स्थायी असर शरीर में छोड़ जाती है, जैसे कि याददास्त कम होना, मिर्गी के दौरे पड़ने और व्यक्तित्व में बदलाव आना।
अधिकांशतः गलसुआ का वाइरस (मम्प्स), हर्पिस सिम्प्लेक्स वाईरस (HSV-१), आर्बो वाईरस और कभीकभी वेरिसेला, एप्स्टिन बार, एन्ट वाईरस - ये सब वाईरस किसी कारणसर मस्तिष्क में प्रवेश कर ले तो वाईरस एन्सेफेलाइटिस होता है। एईड्स का वाईरस भी इस प्रकार
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