________________
152
मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ का एन्सेफेलाइटिस पैदा करता है । कभी कुछ वाईरस सिर्फ मस्तिष्क के आवरणों को असर करते हैं, जिसे वायरल मेनिन्जाइटिस कहते है। यह बीमारी प्रमाण में हल्की है ।
वायरस की बीमारी अतिशय खतरनाक हो सकती है, जैसे कि हर्पिस एन्सेफेलाइटिस बीमारी में यु.एस.ए. में भी लगभग १० से ४० प्रतिशत मरीज की मौत हो जाती है । उतने ही प्रमाण में उन्हें बीमारी के आगे बताये गये दुष्प्रभाव रह जाते है । • निदान :
कमर के पानी (CSF) के रिपोर्ट में प्रोटीन थोड़े ज्यादा होते है, सुगर लगभग नोर्मल होती है और लिम्फोसाइट्स नामक श्वेतकण अधिक होते है । इम्युनोलोजिकल टेस्ट द्वारा अधिकांशतः वायरस की उपस्थिति जानी जाती है। जैसे कि CSF-HSV टेस्ट । कभीकभी CSF-PCR टेस्ट द्वारा यह तय किया जाता है ।
योग्य केस में एम.आर.आई. या सी.टी. स्कैन अथवा ई.ई.जी. किया जाता है।
यदि इस बीमारी का सही निदान हो जाए तो तात्कालिक कुछ दवाई से जिन्दगी बचाई जा सकती है और विकलांगता से दूर रहा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर हर्पिस एन्सेफेलाइटिस में एसाइक्लोविर (झोविरेक्ष, वीर, एसीवीर) के इन्जेकशन दिये जाते है । प्रत्येक दवाई की तरह इस दवाई का दैनिक डोज़ और उसे कितनी बार लेना वह निष्णात डॉक्टर ही तय करते है। हालांकि इसकी विपरीत असर ज्यादा नहीं है, फिर भी सतर्क रहेना आवश्यक है।
इसके अलावा सी.एम.वी. जैसे अनेक दूसरे वायरस मस्तिष्क को एक या दूसरी तरह से तकलीफ पहुँचा सकते हैं । जिसका विवरण जगह की कमी के कारण यहाँ करना संभव नहीं है । इसी प्रकार मस्तिष्क के अन्य वायरस जिसे स्लो-वायरस कहा जाता है, वह क्रमशः महिने और वर्षों में मस्तिष्क के कोषों का नाश करते है। इसमें एस.एस.पी.ई.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org