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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (१) मस्तिष्क का टी.बी. :
सामान्यतः मस्तिष्क का टी. बी. शरीर के अन्य भाग या छाती या पेट के टी.बी. में से फैलता है । ऐसा भी होता है कि छाती का टी.बी. बहुत पहले हुआ हो और अब शरीर को तकलीफ हुई हो, और
शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति कम हो गई हो, तब मस्तिष्क का टी.बी. होने की संभावना रहती है। अपने देश में टी.बी. इतना ज्यादा प्रचलित है कि अधिकांशतः लोगों में टी.बी. के जीवाणु कभी न कभी हवा और दूध आदि से शरीर में प्रवेश कर चूके होते है,
और उसके प्रतिभाव स्वरुप की एलर्जी शरीर में ही रह जाती है।
इसमें से जब भी किसी कारणवश मस्तिष्क का टी.बी.
| शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति कम होती है या शरीर कमजोर पड़ता है, तब बीमारी का प्रारंभ होता है । एईड्सवाले मरीजों को असंख्य जंतुओ का संक्रमण लग सकता है, इसमें भी टी. बी. मुख्य हैं ।
मस्तिष्क के आवरणों में टी. बी. का संक्रमण हो तब उसे टी. बी. मेनिन्जाइटिस कहा जाता है। मस्तिष्क में टी. बी. की गांठ हो तो उसे ट्युबरक्यूलोमा कहा जाता है । मस्तिष्क में कोर्टेक्स का संक्रमण हो तो उसे एन्सेफेलाइटिस ( एन्सेफेलोपथी) कहा जाता है । इस रोग के लक्षण में सिर दर्द होना, हल्का सा बुखार आना, उल्टी होना, भूख न लगना, अशक्ति या बैचैनी आना... यह सब प्रारंभिक लक्षण है। उसके बाद मिर्गी आती है । एक या अधिक अंगो में पक्षाघात की असर होती है और बीमारी बढ़ जाए तो मस्तिष्क में सूजन आने से मरीज बेहोश हो जाता है या मृत्यु होती है। इसके उपरांत मस्तिष्क में बड़ी या छोटी रक्त नलिका बंद हो जाये तो उसे टी. बी. एन्डआरटराईटीस कहा जाता है
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