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________________ 98 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ बहुत प्रचलित ऐसा रोग है जिसे राइटर्स केम्प कहते है, जिसमें मरीज़ को लिखने की प्रक्रिया में तकलीफ होती है। सबसे पहले अक्षर बिगड़ते है, शीघ्रता से नहीं लिखा जा सकता । अंत में स्वहस्ताक्षर करने में भी मरीज़ को मुश्किल होती है। शिक्षक, क्लार्क आदि जैसे लिखने वाली नौकरी-व्यवसाय करते हो उसे कितनी मुश्किल होती है यह समझा जा सकता है। उदाहरण, कोई एक्जिक्यूटिव, जिसे हस्ताक्षर करने में मुश्किल होती है तब उनके चेक वापस आते है । कोन्ट्राक्ट में हस्ताक्षर अलग पड़ने से भी गंभीर मुश्किलें होती है । देखनेवाली बात यह है कि इन मरीजों को केवल लिखने में ही परेशानी होती है। इन्हें खाने में, छोटी मोटी चीज पकड़ने में किसी प्रकार की कमजोरी-दिक्कत नहीं होती है या पक्षाघात के कोई लक्षण नहीं होते । वोकल कोर्ड डिस्टोनिया में गले से आवाज अत्याधिक पतली नीकलती है या तो बंध हो जाती है। एक मत अनुसार इस प्रकार के कम से कम १०० से अधिक डिस्टोनिया है । वायोलीन बजाने वाली उंगलियों में डिस्टोनिया हो तो बेचारे संगीतकार को उसका नाम-काम और आजीविका खोनी पड़ती है । तबला बजाने वाले की उंगलियों में डिस्टोनिया हो जाए तो तबले का ताल ही बदल जाता है । ऐसी अनेक परेशानियाँ मरीज़ को बीमारी के प्रकार अनुसार होती है । बेझल गेन्गलीआ की कार्यक्षमता में गड़बड़ होने के कारण यह डिस्टोनिया होता है। डोपामीन तत्व बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरुप मरीज़ की क्रियाएं बढ़ जाती हैं अथवा कुछ निश्चित स्नायु निरंतर खिंचाव में रहने से लयबद्ध क्रिया में रुकावट होती है । __ ऊपर बताए गए अधिकतर डिस्टोनिया प्राईमरी होते है और मुख्यतः युवा अवस्था में होते है । वह जाना नहीं गया है कि यह किस कारण से होते है । मानसिक तनाव से लेकर, एक ही काम विशेषतः करने से (जैसे कि लिखना) डिस्टोनिया हो सकता है। परंतु यह बीमारी असंख्य लोगों में से कुछ लोगों को ही क्यूं होती है ? सम्भवतः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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