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________________ 88 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ सिरदर्द के गंभीर केस में निम्न चिन्ह सामान्यतः दिखते है। इस प्रकरण का मुख्य संदेश यही है कि तात्कालिक जाँच और उपचार से ऐसे केसों में जीवन बचाया जा सकता है । सिरदर्द के साथ-साथ निम्न लिखित चिह्न हो तो मरीज की संपूर्ण जाँच जरूरी बनती है जैसे की... : .. मिर्गी आना, चक्कर आना, अंधेरा छा जाना, चलते हुए लडखड़ाना या पक्षाघात का असर होना अथवा याददास्त या आवाज चली जाना या बेहोश हो जाना । बुखार आना । नींद से उठने के बाद सिरदर्द होना, छींक या खांसी आते समय दर्द होना या बढ़ जाना । अचानक ही कुछ समय के लिये असहनीय दर्द होना । बच्चों में होता सिरदर्द । ५० वर्ष उपर के व्यक्ति को बढ़ता जाता सिरदर्द । दवाई लेने के बावजूद दर्द नियंत्रण में न आना । सिरदर्द के साथ साथ उपरोक्त सभी चिह्न हो तो सावधान हो जाना चाहिए । जिसका मुख्य कारण मस्तिष्क में सूजन, गांठ या संक्रमण हो सकता है । ५० से उपर वयवाली व्यक्ति को बढ़ता हुआ सिरदर्द हो और सिर की रक्त की नली सुझन से मोटी होती हो या दर्द करती हो और साथ साथ शरीर में थकावट, हल्का बुखार, कमजोरी हो तो टेम्पोरल आर्टराईटिस हो सकता है । इसमें ESR और CRP नामक ब्लडटेस्ट किये जाते है । बायोप्सी से इसका निदान होता है और स्टीरोईड दवाई से यह बीमारी अच्छी हो सकती है। ४. ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया : न्यूराल्जिया शब्द का सरल अर्थ है नसो में दर्द । जिस नस की (नर्व-ज्ञानतंतु की) संवेदना का जितना हिस्सा शरीर में होता है अर्थात् वह नस शरीर में जहाँ से संवेदना ग्रहण कर मस्तिष्क तक पहुँचाती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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