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________________ 86 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (२) हमले को रोकने हेतु औषधियाँ : अन्य प्रकार की औषधियाँ जिसमें बीटाब्लोकर या फ्लुनारिझिन दवाई अथवा एमिट्रिप्लीन दवाई लम्बे समय तक ली जाए तो आधाशीशी के हमले कम हो जाएँगे । आज कल, टोपीरामेट (TOPAMAC), वालप्रोयेट इत्यादि दवाई ज्यादा प्रचलित है । कभी कभी बोटोक्ष इन्जेक्शन भी सिरमें जहां दर्द होता है, वहाँ लगाने से भी फायदा होता है । क्लस्टर हेडेक के केसों में वेरापामिल, लिथियम और प्रेड्निसोलोन का प्रयोग किया जाता है । इसके साथ साथ उपरोक्त जानकारी के अनुसार आहारविहार का ध्यान रखना आवश्यक है । २. स्पास्टिक हेडेक (Tension Headache) यह दर्द आधाशीशी जितना ही या उससे भी अधिक प्रचलित है। नाम अनुसार स्नायुओं के खिंचाव और टेन्शन से यह दर्द होता है । यह दर्द "सिर पर मान लो कोई पट्टा बँधा हो" ऐसा तथा लगातार और हलका होता है, जो लगभग रोज या महीने के अधिकतर दिनों में रहता है । इन सभी कारणों से यह माईग्रेन से बहुत अलग है । शारीरिक जाँच और एक्स-रे, सी.टी. स्केन इसमें भी नोर्मल ही आता है। इसका उपचार भी माईग्रेन से अलग होता है । सबसे पहले तो मरीज को किन बातों का तनाव है यह खोजकर उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए । सामान्यतः कौटुंबिक, सामाजिक, आर्थिक या शारीरिक बीमारी के कारण यह दर्द में मुख्य भूमिका निभाते है, जिसकी मरीज और उनके स्नेही संबंधी के साथ मुक्त मन से चर्चा कर और उसे दूर करने का उपाय करना यही मुख्य बात है। विशेषतः आगे 'तनाव' के चेप्टर में लिखे अनुसार मानसिक शांति के तमाम प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है। व्यायाम, ध्यान, आसन और योग इसके उपचार में मुख्य भूमिका निभाते हैं। आवश्यक लगे तो हिप्नोसिस, ओटोसजेशन, बायोफिडबेक किया जा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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