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7 - आधाशीशी और अन्य सिरदर्द एवम् वर्टिगो (Migraine other headaches & vertigo) आहार तथा जीवनशैली में बदलाव होने के कारण भी आधाशीशी हो सकता है । इसलिए आहार-विहार में नियमितता, मन की शांति, पूर्ण आराम की जरूरत होती है । कब्ज न हो यह देखना चाहिये, और धूप में घुमना नहीं चाहिए, अगर धूप में जाना हो तो गोगल्स पहनने चाहिए। चॉकलेट, चीझ, कॉफी, चाइनीस फुड, खट्टे फल, रेड वाइन आदि अनेक प्रकार के आहार से आधाशीशी हो सकता है । कई बार भूखे रहने से या शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाने से, अधिक जागरण से या मानसिक तनाव से भी माईग्रेन का हमला हो सकता है । कदाचित जातीय समागम से या कभी वातावरण में फेरबदल से, आवाज़ - शोरगुल से और महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियाँ लेने से या मेनोपोज़ के दौरान माईग्रेन बढ़ सकता है ।
माईग्रेन के सभी मरीजों को व्यवस्थित शारीरिक जाँच करवानी आवश्यक है । कई मामले में सी. टी. स्केन या एम. आर. आई. द्वारा भी इलाज - उपचार का निर्णय लिया जाता है । योग्य दवाई तथा निर्देशित आहार-विहार के नियमों का अनुसरण करने पर यह बीमारी पर नियंत्रण लाया जा सकता है ।
आधाशीशी की मुख्य औषधियाँ :
(१) हमले के दौरान ली जानेवाली औषधियाँ :
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हमला हो उस समय तुरत ली जाने वाली दवाई में पेरासिटेमोल, उल्टी की गोली, पीड़ानाशक दवाई जैसे की इबुप्रोफेन या कई केस में अरगटोमाईन नामक दवा मुँह से, इन्जेकशन द्वारा या गुदा में सपोझिटरी द्वारा दिये जाने से संपूर्ण राहत होती है या हमले की मात्रा कम की जा सकती है। नई दवाई में सुमाट्रिप्टान (टेब्लेट या इन्जेक्शन), रीझाट्रिप्टान, नाराट्रिप्टान आदि लाभदायक साबित हुई हैं । क्लस्टर हेडेक में सुमाट्रिप्टान के साथ १००% ऑक्सिजन का भी प्रयोग किया जाता है ।
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