________________
जिससे कि यह एकदम नया पुस्तक है। वैसे तो गुजराती मेरी मातृभाषा है, फिर भी हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है; इसलिए यह पुस्तक सरल हिन्दी में लिखने का विनम्र प्रयास किया है । इस पुस्तक के हिन्दी संस्करण के लिए मेरे मित्र श्री महेश दवे ने मुझे प्रेरित किया । आशा है कि, ईस पुस्तक में मेरी कोई भाषाकीय गलतियाँ हो तो उनको बड़े प्यार से आप नजर अंदाज करेंगे ।
इस पुस्तक के माध्यम से सामान्य जनता में स्वास्थ्य ज्ञान की वृद्धि और रोगों के बारे में जानकारी देने का मेरा विनम्र प्रयास है । स्वाभाविक है कि, इसमें चिकित्साशास्त्र के द्रष्टिकोण से गहराईपूर्वक और तजज्ञतायुक्त जानकारी नहीं है, फिर भी मुझे आशा है कि इसमें सामान्य व्यक्ति को जरूरी तमाम जानकारी मिलेगी। हालांकि वर्तमान नए संशोधन और दवाई के बारे में उचित और संपूर्ण जानकारी इस पुस्तक में समाविष्ट करने का प्रयास किया गया है । लेकिन नई दवाई का संशोधन रोजबरोज होता रहता है इस बारें में हमारे वाचक जानते है । विशेष में स्वयं कोई उपचार करने का जोखिम नहीं लेना चाहिए । सिर्फ डॉक्टरों के मार्गदर्शन में ही दवा लेना उचित रहेगा। खास तो - एकाद सामान्य चिह्न पर से पढनेवाले को कोई न्युरोलोजिकल बीमारी हो गई है ऐसा भ्रम नहीं करना चाहिए।
खास बात तो ये है कि, यह पुस्तक (गुजराती) जब पहले लिखा था तो मरीज़ और उनके परिवारजनों को रोग की जानकारी मिले वही आशय था। किन्तु जैसे जैसे उसकी सेकड़ों कोपियाँ समाज में पहुँची तो सबने मुझे सहर्ष बताया कि फेमिली डॉक्टर्स, मेडिकल स्टुडन्टस, फिजियोथेरपीस्ट, नर्सीस और जनसामान्य में हरएक के लिए इस पुस्तक में कुछ न कुछ महत्वपूर्ण बातें है। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई ।
इस हिंदी पुस्तक को तैयार करने में मेरे गुरुवर्य डॉ. श्री गुणवंतराय जी. ओझा और डी.एन.बी. न्यूरोलोजीकी मेरी छात्रा डॉ. रईसा वोरा ने काफी मदद की है । साथ में मेरे क्लिनिक के सहायक फिजिशियन डॉ. अमित भट्ट और मेरी सुपुत्री हेली शाह (मेडिकल स्टुडन्ट) ने विशेष
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org