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________________ ३९ जैन देवकुल के विकास में हिन्दू तंत्र का अवदान सं० यक्षी वाहन भुजा-सं० आयुध ७. (i) शान्ता-श्वे० गज चार वरदमुद्रा, अक्षमाला, मुक्ता माला, शूल या त्रिशूल. अभयमुद्रा, वरदमुद्रा. अक्षमाला, पाश, अंकुश (मन्त्राधिराजकल्प) (ii) काली-दि० वृषभ चार घण्टा, त्रिशुल या शूल, फल, वरदमुद्रा ८ (i) भृकुटि या ज्वाला- वराह या चार खड्ग, मुदगर, फलक श्वे ० वराल या या मातुलिंग, परशु मराल या हंस (ii) ज्वालामालिनी-दि० महिष आठ चक्र, धनुष, पाश या नागपाश, चर्म या फलक, . त्रिशुल या शूल, बाण, मत्स्य, खड्ग ६ (i) सुतारा या चाण्डा- वृषभ चार वरदमुद्रा, अक्षमाला, कलश, लिका-श्वे० अंकुश (ii) महाकाली-दि० कूर्म चार वज्र, मुदगर या गदा, फल या अभयमुद्रा, वरदमुद्रा १०. (i) अशोका या पद्म चार वरदमुद्रा, पाश या नागपाश, गोमेधिका-श्वे० फल, अंकुश (ii) मानवी-दि० शूकर(नाग) चार फल, वरदमुद्रा, झष, पाश ११. (i) मानवी या __ चार वरदमुद्रा, मुद्गर (या पाश). श्रीवत्सा-श्वे० कलश या वज या नकुल, अंकुश या अक्षसूत्र (ii) गौरी-दि० चार मुद्गर या पाश, अब्ज, कलश या अंकुश, वरदमुद्रा १२. (i) चण्डा या प्रचण्डा वरदमुद्रा, शक्ति, पुष्प या या अजिता-श्वे० पाश, गदा सिंह __ मृग चार अश्व चार (ii) गान्धारी-दि० पद्म या चार मकर या दो मूसल, पदम, वरदमुद्रा, पद्म । पद्म, फल (अपराजितपृच्छा) १३. (i) विदिता-श्वे० (ii) वैरोट्या या वैरोटी-दि० पद्म सपे या व्योमयान चार चार या छह . बाण, पाश, धनुष, सर्प सर्प, सर्प, धनुष, बाण। दो में वरदमुद्रा, शेष में खड्ग, खेटक, कार्मुक, शर (अपराजितपृच्छा) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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