SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गरुड बारह जैनधर्म और तान्त्रिक साधना ३८ यक्ष-यक्षी-मूर्तिविज्ञान-तालिका (ख) २४-यक्षी सं० यक्षी वाहन भुजा-सं० आयुध १. चक्रेश्वरी या अप्रति गरुड आठ या (i) वरदमुद्रा, बाण, चक्र, चक्रा-(क) श्वे० बारह पाश, (दक्षिण); धनुष, वज, चक्र, अंकुश (वाम) (ii) आठ हाथों में चक्र. शेष चार में से दो में वज और दो में मातुलिंग. अभयमुद्रा (ख) दि० चार या (i) दो में चक्र और अन्य दो में मातुलिंग. वरदमुद्रा (ii) आठ हाथों में चक्र और शेष चार में से दो में वज्र और दो में मातुलिंग और वरदमुद्रा या अभयमुद्रा २. (i) अजिता या अजित- लोहासन चार वरदमुद्रा, पाश, अंकुश, फल बला-श्वे० या गाय (ii) रोहिणी-दि० लोहासन चार वरदमुद्रा, अभयमुद्रा, शंख, चक्र ३. (i) दुरितारी-श्वे० मेष या चार वरदमुद्रा, अक्षमाला, फल मयूर या या सर्प, अभयमुद्रा महिष (ii) प्रज्ञप्ति-दि० पक्षी अर्द्धन्दु, परशु, फल. वरदमुद्रा, खड्ग, इढ़ी या पिंडी ४. (i)कालिका या वरदमुद्रा, पाश, सर्प, अंकुश काली-श्वे० (ii) वज्रश्रृंखला-दि० . चार वरदमुद्रा, नागपाश, अक्षमाला, फल ५. (i) महाकाली-श्वे० पद्म चार वरदमुद्रा, पाश या नाशपाश, मातुलिंग, अंकुश (i) पुरुषदत्ता या नर वरदमुद्रा, चक्र, वज्र, फल दत्ता-दि० ६. (i) अच्युता या श्यामा नर वरदमुद्रा, वीणा या पाश या बाण, या मानसी-श्वे० धनुष या मातुलिंग, अभयमुद्रा या अंकुश (ii) मनोवेगा-दि० अश्व वरदमुद्रा, खेटक, खड्ग, मातुलिंग चार गज चार चार चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy