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सं०
यक्ष (ख) दि०
त्रिमुख
३७ जैन देवकुल के विकास में हिन्दू तंत्र का अवदान वाहन भुजा-सं० आयुध
अन्य लक्षण पुष्प छह मुद्गर या द्रुघण. या नर
परशु. दण्ड, फल, वज्र, वरदमुद्रा । प्रतिष्ठातिलकम् में दुघण के स्थान पर धन के प्रदर्शन का निर्देश
है।
२३. (i) पार्श्व-श्वे०
कूर्म
चार
(ii) धरण-दि०
चार
या छह
मातुलिंग, उरग या गदा, गजमुख, नकुल, उरग
सर्पफणों
के छत्र से युक्त नागपाश, सर्प, सर्प, सर्पफणों के छत्र वरदमुद्रा।
से युक्त धनुष, बाण, भृण्डि. मुद्गर. फल, वरदमुद्रा (अपराजितपृच्छा) नकुल, बीजपूरक वरमुद्रा, मातुलिंग
मस्तक पर धर्मचक्र
२४. मातंग-(क) श्वे०
(ख) दि०
गज गज
44
दो
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