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________________ सं०महाविद्या २७ जैन देवकुल के विकास में हिन्दू तंत्र का अवदान वाहन भुजा-संख्या आयुध (निर्वाणकलिका); खड्ग, वज, खेटक, शूल (आचारदिनकर); फल, अक्षमाला, अंकुश, त्रिशूल (मन्त्राधिराजकल्प) (ख) दि० पुष्पयान चार अंकुश, पद्म, फल, वज्र या गज ५ अप्रतिचक्रा या चक्रेश्वरी-श्वे० गरुड़ चार चारों हाथों में चक्र प्रदर्शित होगा खड्ग, शूल, पद्म, फल जांबूनदा-दि० मयूर चार ६ नरदत्ता या पुरुषदत्ता चार वरदमुद्रा या अभयमुद्रा, खड्ग, खेटक. (क) श्वे० महिष या पद्म फल चार वज, पद्म, शंख, फल (ख) दि० चक्रवाक (कलहंस) ७ काली या कालिका (क) श्वे० पद्म चार चार (ख) दि० मृग ८ महाकाली- (क) श्वे० मानव अक्षमाला, गदा, वज, अभयमुद्रा (निर्वाणकलिका); त्रिशूल, अक्षमाला, वरदमुद्रा, गदा (मन्त्राधिराजकल्प) मुसल, खड्ग, पद्म, फल वज या पद्म, फल या अभयमुद्रा, घण्टा, अक्षमाला शर, कार्मुक, असि, फल चार चार ६ गौरी- (ख) दि० शरभ (अष्टपदपशु) (क) श्वे० गोधा या वृषभ (ख) दि० गोधा चार वरदमुद्रा. मुसल या दण्ड, अक्षमाला, पद्म हाथों की भुजाओं में केवल पदम के प्रदर्शन संख्या का का निर्देश है। अनुल्लेख १० गान्धारी- (क) श्वे० पदम चार वज या त्रिशूल, मुसल या दण्ड, अभयमुद्रा, वरदमुद्रा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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