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३६१ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना का प्रणयन जैन परम्परा के विधि-विधान की चर्चा को लेकर हुआ है। इसमें वर्णित विषय इस प्रकार हैं-१. सम्यक्त्व आरोपण विधि, २. परिग्रहपरिमाण विधि, ३. सामायिक आरोपण विधि, ४. सामायिक ग्रहण पारणविधि, ५. उपधाननिक्षेपण विधि-पंचमंगल उपधान, ६. उपधान सामाचारी, ७. उपधान विधि, ८. मालारोपण विधि, ६. उपधानप्रतिष्ठापंचाशक प्रकरण, १०. प्रोषध विधि, ११. देवसिकप्रतिक्रमण विधि, १२. पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, १३. रात्रिक प्रतिक्रमण विधि, १४. तपोविधि, १५. नंदीरचनां विधि, १६. प्रवज्या विधि, १७. लोककरण विधि, १८. उपयोग विधि, १६. प्रथम भिक्षा विधि, २०. उपस्थापना विधि, २१. अनध्यायविधि, २२. स्वाध्याय प्रस्थापन विधि, २३. योगनिक्षेपण विधि, २४. योगविधि-इसमें विभिन्न आगमों के अध्ययन हेतु किये जाने वाले तप एवं विधि-विधानों का वर्णन है। २५. कल्पतर्पण समाचारी, २६. वाचना विधि, २७. वाचनाचार्य प्रतिष्ठापनाविधि, २८. उपाध्यायप्रतिष्ठापना विधि, २६. आचार्य प्रतिष्ठापना विधि-प्रवर्तिनीप्रतिष्ठापना विधि, ३०. महत्तराप्रतिष्ठापना विधि ३१. गणानुज्ञा विधि, ३२. अनशन विधि, ३३. महाप्रतिष्ठापना विधि, ३४.अ. आलोचन विधि-ज्ञानातिचार प्रायश्चित्त, दर्शनातिचार प्रायश्चित्त, मूलगुणप्रायश्चित्त, पिण्डलोचनाविधानप्रकरण, उत्तरगुणातिचारप्रायश्चित्त, वीर्यातिचार प्रायश्चित्त, ३४.ब. देशविरतिप्रायश्चित्तविधि (गृहस्थ)-आलोचनाग्रहणविधिप्रकरण, ३५. प्रतिष्ठाविधि-प्रतिष्ठाविधि संग्रहगाथा, अधिवासनाधिकार, नंद्यावर्तलेखनविधि, जलानयनविधि, कलशारोपण विधि, ध्वजारोपण विधि, प्रतिष्ठोपकरणसंग्रह, कूर्मप्रतिष्ठाविधि, प्रतिष्ठासंग्रह काव्यानि, प्रतिष्ठानविधि गाथा, कथारत्नकोशीय ध्वजारोहण विधि, ३६. स्थापनाचार्यप्रतिष्ठाविधि, ३७. मुद्राविधि, ३८. चतुःषष्टियोगिनीउपसमर्पयाचार, ३६. तीर्थयात्राविधि, ४०. तिथिविधि, ४१. अंगविद्यासिद्धिविधि आदि।
इस प्रकार हम देखते हैं कि विधिमार्गप्रपा में जैन साधना संबंधी विधि-विधानों का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। इसके विधि-विधानों में सकलीकरण, मुद्रा एवं विद्या सिद्धि के भी अनेक विधि-विधान उपलब्ध हैं। ऋषिमंडलमंत्रकल्प
जैन तांत्रिक साधना में ऋषिभमंडल का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रस्तुत कृति विद्याभूषणसूरि द्वारा रचित है। इसमें ऋषिमंडल से संबंधित मंत्र-तंत्र और यंत्र संगृहीत हैं। ऋषिभमण्डल से संबंधित अन्य आचार्यों की कृतियाँ भी इसमें उपलब्ध होती हैं। अनुभवसिद्धमंत्रद्वात्रिंशिका
यह कृति भ्रदगुप्ताचार्य की रचना है। कृति कब निर्मित की गयी इस
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