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यंत्रोपासना और जैनधर्म
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स्वाहा माक्खि,सन्कुण,डाँस आदिस्य उपद्रव
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श्री कुन्थुनाथ अनाहत
यंत्र नं-१७
विज्झर कुन्थु कुन्थु कै कुन्थु शे
सहिताय मम सर्ववृश्चिक,
किं नाशं कुरु कुरु स्वाहा ॐ ह्रीं श्री कुन्यु
ॐणमोभगवदो अरहदो
न
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थाय गंधर्व यक्ष जया गाधारीयाक्षाब
कुन्युस्स सिप्झ धम्मै भगवदो विज्झर महा
अ.
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__ अप जिग्रहति स्वाहा जय प्राप्तिं कुरु कुरु स्वाहा
अरहनाथ अनाहत यंत्र नं-१८
विज्झर महाविज्झर अरणे ताय ममद्युतादि के
ॐ ह्रीं श्री अरहनाथाय ॐ णमोभगवदो अरहदो
श्री
खगेन्द्र यक्ष तारावती यक्षि सहिं अरहम्म सिज्मधंम्मे भगवदो
| क्षि!
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"मङ्गलम से साभार
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