________________
श्री धर्मनाथ अनाहत यंत्र नं-१५
31.
क्षि
व. सुधम्मैणधम्माइंवा सुहतेभंते धम्मे अंगमे सहिताय
34.
3.अ.
अ.
क्षि
स्वाहा
मंमेवु अपदिदम्मे ममसर्व वश्यं कुरु २
ဥ
श्री शांतिनाथ अनाहत यंत्र नं-१६
क्षि
विज्झा महाविज्झाशांन्तिहू यक्षि सहिताय
Jain Education International
२१३
यक्ष
मानसी यक्षि
किन्नर
सिज्झिधम्में भगवदो विज्झर महाविज्झर धम्मे
र्क्षि
ত
जैनधर्म और तांत्रिक साधना
स्वाहा
ि
कंपमे स्वाहा मम सर्व शांति कुरु कुरु स्वाहा
गरुड़
好
क्षि
ॐ ह्रीं श्री धर्मनाथाय
ॐ नमोभगवदो अरहदो धम्मस्स
यक्ष महामानसी
हदोशांतिस्स सिज्जधम्मे भगवदो
For Private & Personal Use Only
31.
halall
21.
क्षि
ॐ ह्रीं श्री शांति
ॐ नमोभगवदोअर
31.
31.
'मङ्गलम से साभार
www.jainelibrary.org