________________
२०८
यंत्रोपासना और जैनधर्म
-
नं
गे
स्वाहा
मम सर्वं पुरुष
वश्यं
वषट्
ॐ
20
श्री सुमतिनाथ, अनाहत
सुमति–सामिणं
दत्त यक्षि सहिताय
ह्रीं
ॐणमोभगवदो अर हदो
क्षि
श्रीं
सुमति नाथाय तुम्बरु यक्ष पुरुष
सुमतिस्स सिज्म-धम्मे भगवदो विझर
क्षि
महापोमै महापोमेश्वरी स्वाहा
संपती वृद्धि कुरु कुरु वषट्
ॐ
-
अनाहत यंत्र नं-६ श्री • पदा, प्रभ
विज्झरमहा विज्झरपोमे २
सहिताय ममलक्ष्मी
-
-
ह्रीं
ॐ णमो भगवदो
+ पझप्रभाय पुष्प यक्षमोहिनी यक्षि
अरहतस्स सिझधम्मे भगवदो
अरहदो पोमे
D
अ.
'मङ्गलम से साभार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org