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जैनधर्म और तांत्रिक साधना
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अरहदो शंभवस्स अनाहतविखंई सिज्झधम्मे भगवदो
नाथाय त्रिमुख यक्ष प्रज्ञप्ति देवि
श्री संभवनाथ अनाहत
ॐणमो भगवदो
ॐह्रीं श्रीशंभव
३
सहितायमम सर्व
महाविज्झाण महा विज्माशंभवस्स
यंत्र नं
कार्यसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
"
शंभवे महा शंभवे शंभवाणं स्वाहा
अभिणंदणे स्वाहा
सहितायमम सर्वाधिनं कुरु कुरु स्वाहा
महाविज्झर
ॐ
श्री अभिनन्दन नाथ अनाहत
यंत्र नं-४
यक्षवज्रशृंखलादेवि
ह्रीं
महाविज्झर
ॐणमोभगवदो अरहदो
श्री
अभिनन्दन नाथाय यक्षेश्वर
अभिणं दणस्स सिज्झधम्मे भगवदो विज्झर
.
हा
'मङ्गलम से साभार
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