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यंत्रोपासना और जैनधर्म
रक्तेक्षणं समद-कोकिल-कण्ठ नीलम्, क्रोधोद्धतं फणिन-मुत्फण-मापतन्तम् । आक्रामति क्रमयुगेण निरस्त-शङ्कस्त्वन्नाम-नागदमनी हृदि यस्य पुंसः ।।४१।।।
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रकेभएसमदकोकिलकण्टनीस
महामो वीर समीयांकनमो. मन्त्र ऋद्धि -ॐ ह्रीं अर्ह णमो खीरसवीणं। । मंत्र -ॐ नमो श्रां श्रीं श्रृं श्रः जलदेवि ME
कमले कमले पद्महृदनिवासिनी पद्मो परिसंस्थिते सिद्धि देहि मनोवांछित कुरु कुरु स्वाहा।
Nepreneutine प्रभाव-सॉप का जहर उतर जाता है। -
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स्वनामनागदपनी हदिम्स्यपुसः
हिमनोपितफुलारुस्हर
ही नमः कहीमारिवार
मस्यौदेवकमल काधारतफाममुत्फएमापतन्तम्।
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वल्गत्तुरङ्ग-गज-गर्जित-भीमनादमाजौ बलं बलवता-मपि भूपतीनाम् । उद्यद्-दिवाकर-मयूख-शिखापविद्धम् , त्वत्-कीर्तनात्तम इवाशु भिदा-मुपैति ।।४२ ।।
बन्गतुङ्गगजगमितभीमनादन हिचिईपाभोसप्पिसमानो
मन्त्र
ER.काही ऋद्धि -ॐ ह्रीं अहं णमो सप्पिसवाणं।
यन मा मंत्र -ॐ नमो नमिऊणविषप्रणाशनरोग मारा शोकदोपग्रहकप्पदुमच्चजाई सुहना
. . . " गहण-सकलसुहदे ॐ नमः स्वाहा । प्रभाव-युद्ध-भय मिट जाता है।
त्वत्कीर्तनासमडवाशु मियानुपति ४२
-वं अभिकलविषयविषा जाबलाउपतामापभूपतानाम्
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