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यंत्रोपासना और जैनधर्म
मन्दार-सुन्दर-नमे रु-सु पारिजातसन्तानकादि-कुसुमोत्कर-वृष्टि-रुद्धा। गन्धोद-विन्दु-शुभ-मन्द-मरुत्-प्रपाता, दव्या दिवः पतति ते वचसां तति-र्वा ।।३३।।
यन्त्र
मन्दारसुन्दरनमेरुसुपारिजानहींगाईएमोमोसहिपताए।
मन्त्र ऋद्धि -ॐ ह्रीं अहं णमो सव्वोसहिपत्ताणं । METIMAX मंत्र -ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू ध्यानसिद्धि| परमयोगीश्वराय नमो नमः स्वाहा । प्रभाव--सब तरह के ज्वर दूर होते हैं।
रियादिपतनितेचचसा नतिर्याय
नमोनमःसरहा।
डीसा
सन्तानकविकुसुमाकरहाटम्या
थानमिति
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शुम्भत्-प्रभा-वलय-भूरि-विभा विभोस्ते, लोक-त्रये द्युतिमतां द्युति-माक्षिपन्ती। प्रोद्यद्-दिवाकर-निरन्तर-भूरि-संख्या दीप्त्या जयत्यपि निशा-मपि सोम-सौम्याम्।।३४।।
यन्त्र
-
शुभप्रभावलयरिविमा विभोस्ले
महोलि सहि पाए।
सत्याजयन्यपिनिशामापसामताम्यामा
नमोनमः स्वाहा
बापा माया
नमोडीयोकीएहों लावबजुलमतान्तमातिफ्ती।
ऋद्धि -ॐ ह्रीं अर्ह णमो खिल्लोसहिपत्ताणं । मंत्र -ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ह यौं
पद्मावत्यै नमो नमः स्वाहा। प्रभाव-गर्भ की संरक्षा होती है।
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