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यंत्रोपासना और जैनधर्म
नास्तं कदाचि-दुपयासि न राहु-गम्यः, स्पष्टी-करोषि सहसा युगपज्जगन्ति । नाम्भोधरो दर-निरुद्ध-महा-प्रभाव:, सूर्यातिशायि-महिमासि मुनीन्द्र! लोके ।।१७।।
नास्तकदाचिदुपयासिनराहगम्या
1. हमनहामिजकुशमन्त्र
नन मो ऋद्धि -ॐ ह्रीं णमो अट्टाङ्गमहानिमित्त
कुसलाणं। मंत्र -ॐ णमो णमिऊण अट्ठ मट्ठ क्षुद्र-LE.
विघट्टे क्षुद्रपीड़ां जठरपीड़ां भंजय भंजय सर्वपीड़ा निवारय निवारया
सर्वरोगनिवारणं कुरु कुरु स्वाहा। Litencentrasahitti 113:PLWY प्रभाव-सार रांग रूकते तथा दूर होते हैं । HI12pital
| मृतिशायिमहिमासि मुनीन्द्रतोंक
पीडासर्वरोगनिबारशंकुरु स्याहः ।
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FEगानुनमाभिरणाअमझे नावट . स्पाकरोषि सहसा युगपज्जगन्नि।
नित्यो दयं दलित-मोह-महान्धकारम् , गम्यं न राहु-वदनस्य न वारिदानाम् । विभ्राजते तव मुखाब्ज-मनल्प-कान्तिविद्योतयज्जग-दपूर्व-शशाङ्क-बिम्बम् ।।१८ ||
यन्त्र
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निमोरयदलितमोहमहाधिकार IFRोकाबलान
बोपनारपरपासस
प
14 पता
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मन्त्र
वियातयज्जगदपूर्व शशाङ्क विम्बम १८
ननायनमकीनर
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मिजयकराम्दानीकोश्रीवर या भगवत गम्य नराहुबदनस्यनयारवानामा
ऋद्धि -ॐ ह्रीं अर्ह णमो विउयणढिपत्ताणं । मंत्र -ॐ नमो भगवते जय विजय मोहय | मोहय स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा ।
यथाहा। FLL
7VRIKE प्रभाव-शत्रुसैन्य स्तम्भित होती है।
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