________________
१३६ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना आयरियमेरु स्वाहा।।" जप सम्बन्धी विधि
"ॐ ह्रीं श्रीं इरिमेरु नमः । ॐ ह्रीं श्रीं किरिमेरु नमः । ॐ ह्रीं श्री गिरिमेरु नमः । ॐ ह्रीं श्रीं पिरिमेरु नमः । ॐ ह्रीं श्री सिरिमेरु नमः। ॐ ह्रीं श्री हिरिमेरु नमः । ॐ ह्रीं श्रीं आयरियमेरु नमः ।।" पूजा में सर्वत्र “स्वाहा' और जप में 'नमः' का प्रयोग करना चाहिए।
साध्यविभागः
"ॐ किरिमेरु स्वाहा । ॐ गिरिमेरु स्वाहा । ॐ पिरिमेरु स्वाहा । ॐ सिरिमेरु स्वाहा । ॐ आयरियमेरु स्वाहा।।" "ॐ आँ क्रॉ ह्रीं श्री चक्रपीठस्वामिने नमः । ॐ ह्रीँ नमो जिणाणं ॐ जां स्वाहा ।।१।। ॐ ही नमो ओहिजिणाणं ॐ हल्ल्यूँ स्वाहा।।२।। ॐ हौँ नमो परमोहिजिणाणं फ्ल्व्यूँ स्वाहा।।३।। ॐ ही नमो अणंतोहिजिणाणं स्म्ल्यूँ स्वाहा ।।४।।
हीँ नमो सव्वोहिजिणाणं क्म्ल्यूँ स्वाहा ।।५।।
हौँ नमो कुट्ठबुद्धीणं ॐ स्वाहा ।।६।। ॐ हौँ नमो पयाणुसारीणं दम्ल्यूँ स्वाहा ।।७।। ॐ ह्रीँ नमो संभिन्नसोयाणं ॐ जम्ल्यूँ स्वाहा।।८।। ॐ ह्रीँ नमो भवत्थकेवलीणं भम्ल्यूँ स्वाहा ।।६।। ॐ ही नमोअभवत्थकेवलीणं ॐ च्ल्यूँ स्वाहा ।।१०।। ॐ ह्रीँ नमो उग्गतवचारीणं ॐ हम्ल्यूँ स्वाहा ।।११।। ॐ ह्रीं नमो चउदसपुवीणं ॐ फ्ल्यूँ स्वाहा ।।१२।। ॐ हीं नमो दसपुवीणं ॐ न्म्ल्य्यूँ स्वाहा।।१३।। ॐ हौँ नमो इक्कारसअंगीणं ॐ ऐं क्लीं श्रीं तूं स्वाहा ।।१४।। ॐ ह्रीँ नमो सुअकेवलीणं ॐ ह्र श्री एँ ई है हः स्वाहा ।।१५।। ॐ ही एएसिं नमुक्कारं किच्चा जमियं विज्जं पउंजामि सा मे विज्जा पसिज्झउ स्वाहा।।१६।।
Se Sese sesese Se
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org