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________________ xi सारिणी - २ मंत्र, यंत्र और तंत्र की विविध परिभाषायें और अन्य विवरण यंत्र तंत्र मंत्र १. व्युत्पत्तिगत मनसो (विचलनतः) त्राणं करोति, एकाग्रं करोति स्वरूपगत २. (अ) ध्वनि समुदाययुक्त अक्षर / पद समूह, मातृकापद, वीजाक्षर, पल्लवयुक्त, (अ) लघु वर्णन, व्यापक क्षेत्र (ब) मानसिक / वाचिक जप द्वारा साधना (स) चतुरंगी साधना पद्धति ( जप, ध्यान, पूजा, हवन) (द) पुरूषार्थी साधन (य) कष्ट साध्य (२) अब सार्वजनिक और वैज्ञानिकतः पुष्ट (ल) अरण्यपीठ साधना (ब) मनो-भौतिक (स) सगुण - निर्गुण योग (द) बारम्वार जप से अजेय शक्ति स्रोत ३. उद्वेश्यगत लौकिक एवं आध्यात्मिक (मनोकामना पूर्ति, आत्मानुभूति, अन्तःशक्ति का उद्भव ) निवृत्ति प्रधान लक्ष्य ४. क्रियागत ५. उपयोगिता यच्छति (प्रदाति) शुभ, नियमनं करोति ६. संख्या और भेद-प्रभेद ८४,००,००० जैन मंत्र सामान्य और विशेष मंत्र तांबा, सोना, चाँदी, भोजपत्र या कागज पर विशिष्ट ज्यामितीय आकृति में लिखित एवं संस्कारित शब्द, मंत्र, चित्र भौतिक Jain Education International सगुण अल्प शक्ति स्रोत लौकिक मनोकामना पूर्ति प्रवृत्ति - निवृत्ति प्रधान लक्ष्य लघु वर्णन, व्यापक क्षेत्र पूजा द्वारा स्तवन पापनाशक, विष-विघ्न हर शुभदायक भूत-प्रेत बाधा हर संकल्प शक्ति, अंतःशक्ति, आनुषंगिक सिद्धियां भक्तिवादी साधना सुख साध्य सगुण और मनोवैज्ञानिक जैनों के विशिष्ट यंत्र ४८ अन्य तंत्रों में धारण यंत्र १५. पूजन यंत्र ४, आयुर्वेदीय यंत्र १०१, ज्योतिषीय यंत्र- अनेक साधकस्य तनोः त्राणं करोति ज्ञानं विस्तारयति मंत्र एवं यंत्र से समन्वित क्रियात्मक साधन मार्ग, मंत्र - जप, यंत्र पूजन एवं अनुष्ठानों की पद्धति भौतिक-मानसिक सगुण-योग भक्ति और अनुष्ठानों से मध्यम शक्ति स्रोत लौकिक मनोकामना पूर्ति, शक्ति संचय प्रवृत्ति-प्रधान ब्रह्मलीनता का लक्ष्य लघुतम वर्णन, सीमित क्षेत्र क्रियात्मक अनुष्ठान द्वारा संस्करण जप, ध्यान, पूजा, हवन का भक्ति मार्ग आत्म समर्पण एवं भक्तिवादी पद्धति सुख साध्य गोपनीय श्मशान साधना, शव साधना, श्यामा साधना एवं अरण्यपीठ साधना भूत-प्रेत बाधा हर, झाड़-फूंक, शाप - वरदान चमत्कार, अनेक अचरजकारी सिद्धयाँ जैनों में तंत्र भेद प्रचलित नहीं पर वामाचार और कौलाचार पूर्णतः अमान्य सारिणी २ में तंत्र संबंधी अनेक सूचनायें परम्परानुसार दी गई हैं। इनसे मंत्र, यंत्र और तंत्र के विषय में जैन मान्यताओं का स्पष्ट संकेत मिलता है । इससे यह स्पष्ट है कि तंत्र, क्रिया और अनुष्ठान प्रधान है और यह संस्कारित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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