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मंत्र साधना और जैनधर्म से घर में, परिवार में किसी के साथ कलह या अनबन हो तो सब क्लेश शान्त हो जाता है, आपस में प्रेम भाव बढ़ जाता है। सर्वकार्य साधक मन्त्र
__ ॐ हां ही हूँ हः असिआउसा स्वाहा
सूचना-इस मन्त्र का सवा लाख जप, निरन्तर बीच में अन्तराल डाले बिना, करने से मन-चिन्तित सब कार्यों की सिद्धि हो जाती है। यह मन्त्र दरिद्रता-गरीबी का नाश करने वाला है। उत्तर दिशा की ओर मुख करके एक बार भोजन और ब्रह्मचर्य का व्रत रख कर २१ दिन में सवा लाख जप करने से, यह मन्त्र सब कार्यों की सिद्धि करता है। महासुख प्राप्ति कारक मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं नमो अरिहंताणं, ॐ ह्रीं श्रीं नमो सिद्धाणं, ॐ ह्रीं श्रीं नमो आयरियाणं, ॐ हीं श्रीं नमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं श्रीं नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ हीं श्रीं नमो नाणस्स, ॐ ह्रीं श्रीं नमो दसणस्स, ॐ ह्रीं श्रीं नमो चरित्तस्स, ॐ ह्रीं श्रीं नमो तवस्स।
विधि- उत्तर दिशा में मुख करके सोते समय २१ बार जप करने से सब प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है। संकट निवारक, मनेवांछित फलदायक मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू नमिउण असुर-सुर-गरुल-भुयंग-परिवदिए, गय किलेसे अरिहे सिद्धायरिए उवज्झाए सव्वसाहूणं नमः स्वाहा।
विधि-पहले पंचमी, दशमी या पूर्णमासी को रवि-पुष्य रवि-मूल या गुरुपुष्य नक्षत्र हो, उस दिन से २७ दिनों में इसका १२५०० जाप करके इसे सिद्ध कर लें। प्रारम्भ में अट्ठमतप (तेला) करें, अन्यथा बीच-बीच में आयम्बिल या एकाशन करें, जप की पूर्णाहुति के दिन उपवास करें। उसके बाद संकटकाल में इस मंत्र की २१ माला फेरने से शान्ति हो जाती है। मनोवांछित कार्यसिद्धि हो जाती है। जाप एकान्त में करें। स्मरणशक्ति-वर्द्धक मंत्र
"ॐ ह्रीं चउद्दसपुविणं, ॐ हीं पाणुसारिणं, ॐ ह्रीं एगारसंगधारिणं, ॐ हीं उज्जुमइणं, ॐ हीं विउलमइणं स्वाहा।'
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