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________________ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना पहले 'तीर्थंकरगणधरप्रसादादेष योगः फलतु' यह ७ बार कह कर इस मंत्र की एक माला रोजाना फेरें । इससे बुद्धि तीव्र होगी । भूतप्रेतादिनिवारण मंत्र ११० ॐ नमो उग्गतवचरणपारीणं, ॐ नमो हिततवाणं, ॐ नमो उत्ततवाणं, ॐ नमो पडिमापडिवन्नाणं एएसिं पराविज्जापहारणे पसिज्जउ स्वाहा ।' विधि- पहले 'तीर्थंकरगणधरप्रसादादेष योगः फलतु' इस प्रकार ७ बार बोल कर फिर २१ दिन तक प्रतिदिन १ माला फेरें । कोई भी देवदोष की शंका होगी तो दूर हो जायेगी । विशिष्ट विद्याप्राप्ति का मंत्र 'ॐ ह्रीं बीयबुद्धिणं, ऊँ ह्रीं कोट्ठबुद्धिणं, ॐ ह्रीं संभिन्नसोयाणं, ॐ ह्रीं अक्खीण महाणसलद्धिणं सव्वलद्धिणं नमः स्वाहा ।' विधि- तीन दिन उपवास करके इस मंत्र का १२५०० जप पीली माला से तीन दिन में कर लें। फिर प्रतिदिन १०८ बार जपें । बुद्धिवर्द्धक मंत्र ऐं सरस्वत्यै नमः । विधि - पहले सवा लाख जप करके इसे सिद्ध कर लें । फिर जब भी कार्य हो, तब ११ माला रात को सोते समय या प्रातः उठते समय फेरें । इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है। परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है। ऐश्वर्यदायक मन्त्र ॐ ह्रीं वरे सुवर असिआउसा नमः । सूचना- इस मन्त्र का एकान्त स्थान में प्रतिदिन सुबह, दोपहर और शाम को एक सौ आठ जप करने से अर्थात् तीनों काल में एक-एक माला करके तीन माला फेरने से सब प्रकार की सम्पत्ति, लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । किसी पद आदि की उन्नति के लिए भी इसका जप किया जा सकता है। रोग - निवारक मन्त्र ॐ नमो विप्पोसहि पत्ताणं ॐ नमो खेलो सहिपत्ताणं, ॐ नमो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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