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१०८ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना संस्थाप्य ध्यानात् शाकिन्यादयो न प्रभवन्ति ।
इस मंत्र का १०८ बार जप करने से भूत, पिशाच डाकिनी आदि की प्रेत बाधा दूर होती है। (८७) बुद्धिवर्धकमन्त्र ॐ णमो अरिहंताणं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ।'
इत्यनेन मासं प्रति कगुवस्तु (मालकाङ्गणीति प्रसिद्ध) चाभिमन्त्र्य मासं प्रति देयं चैवं षष्टिदिन प्रयोगे कृते बालस्य बुद्धिवृद्धिर्भवति ।
इससे अभिमन्त्रित मालकांगिनी का एक मास तक सेवन करने से बुद्धि बढ़ती है। (८८) सर्वकर्मकरमन्त्र
'ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, 'ॐ नमो आयरियाणं, 'ॐ नमो उवज्झायाणं, 'ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, 'ॐ नमो दंसणाय (णस्स), 'ॐ नमो णाणाय (णस्स), 'ॐ नमो चरित्ताय (तस्स), 'ॐ ह्रीं त्रैलोक्यवशंकरी ह्रीं स्वाहा।' विधि- चैकविंशतिवारं यद्, जप्त्वा ग्रन्थिश्च यस्य च ।
दत्ते स हि वशी तस्य, भवति न च संशयः ।। पानीयं चाभिमन्व्यैवमुञ्जने नेत्ररोगिणः। रोगपीडाहरं दत्तं, वा शिरोऽर्द्धशिरोऽर्तिषु ।।
इस मंत्र का इक्कीस बार जप करके जिस नाम की गांठ लगाई जाती है, वह वश में हो जाता है। इससे अभिमन्त्रित जप से मुख धोने पर नेत्र रोग, शिरो रोग आदि की पीड़ा शान्त होती है।
'मङ्गलम्' नामक ग्रन्थ के कुछ मंत्र प्रीतिवर्धक मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं नमो लोए सव्वसाहूणं सूचना- पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मन्त्र का जप करें। एक बार मन्त्र का जप करें और नये कपड़े में एक गाँठ लगा दें। इस प्रकार एक-सौ आठ बार जप करें और नये कपड़े में एक-सौ आठ गाँठ लगा दें। ऐसा करने
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