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________________ १०७ मंत्र साधना और जैनधर्म (७८) ॐ णमो अरिहंताणं वषट्' इससे वशीकरण किया जाता है। (८०) 'ॐ णमो अरिहंताणं ठः ठः' इससे स्तम्भन कर्म किया जाता है। (८१) ॐ णमो अरिहंताणं हूँ इससे विद्वेषण कर्म किया जाता है। (८२) 'ॐ णमो अरिहंताणं फट् स्वाहा। इससे उच्चाटन कर्म किया जाता है। (८३) ॐ णमो अरिहंताणं घेघे' इससे मारण कार्य किया जाता है। इत्यष्टौ मन्त्रास्तेजोऽग्निप्रियायुतसंपुटरीत्या पृथग्भूत्य जप्याः । एवमेव-ॐ णमो सिद्धाणं स्वाहा स्वधादियोज्यम् । एवमेव सूरावुपाध्याये साधौ योज्याः। एवं (Ex५) चत्वारिंशन्मन्त्रा यथेच्छं जप्याः। (८४) तर्पणमन्त्रा "ॐ नमोऽर्हद्भ्यः स्वाहा । ॐ नमः सिद्धेभ्यः स्वाहा । ॐ नमः आचार्येभ्यः स्वाहा । ॐ (नमः) उपाध्यायेभ्यो स्वाहा । ॐ (नमः) सर्वसाधुभ्यः स्वाहा।” यह तर्पणमन्त्र है। (८५) होममन्त्रा ___"ॐ हाँ अर्हद्भ्यः स्वाहा, ॐ ह्री सिद्धेभ्यः स्वाहा, ॐ हूँ आचार्येभ्यः स्वाहा, ॐ ह्रौं उपाध्यायेभ्यः स्वाहा, ॐ ह्रः सर्वसाधुभ्यः स्वाहा।" यह होम मन्त्र है। (८६) शाकिनी निवारणमन्त्र 'ॐ णमो अरिहंताणं भूत-पिशाच-शाकिन्यादिगणान् नाशय हुं फट् स्वाहा।' १०८ जप्तोऽयं मन्त्रः शाकिन्यादीन् विनाशयति । अथवा चैकं साप्टपत्रं पद्यं चिन्तयेत्। तत्र कर्णिकायामाद्यं तत्त्वं शेषाणि चत्वारि शङ्खावर्तविधिना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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