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________________ [२५१ प्रश्नपत्र प्र.६. पांचवें नरक और आठवें स्वर्गमें कितनी जघन्योत्कृष्ट आयु हैं। तीसरे क्षेत्र, पर्वत और तालाबका नाम तथा वहां रहनेवाली देवी और वहांसे निकलनेवाली नदियोंके नाम बताइये। प्रश्रपत्र ( समय ३ घण्टे) मोक्षशास्त्र ( उतरार्ध) (पूर्णाङ्क १००) नोट- निम्नांकितोंमेंसे कोई भी पांच प्रश्न कीजिये। सभी प्रश्नोंके अङ्क समान है। प्र.१. जबकि सम्यग्दर्शन मोक्षका मार्ग है, तब उसे देव आयुका कारण क्यों कहा? सोलहकारण भावनाओंके नाम लिखकर समझाइये कि मिथ्यादृष्टि जीव विनयसम्पन्नता आदि पन्द्रह भावनाओंका पालन कर तीर्थकर प्रकृतिका आश्रव कर सकता है? कारण सहित लिखिये। हिंसादि पंच पापोंकी अहिंसा आदि पांच अणुव्रतोंकी व्याख्या कीजिये। अणुव्रतोंके सहायक सात शीलके नाम लिखकर समझाइये कि वे अणुव्रतोंके पालनमें किस प्रकार सहायक है? दानका लक्षण पाठ्यपुस्तकमें आये सूत्र द्वारा स्पष्ट कीजिये व समझाइये कि उस दान में किन किन बातोंकी विशेषतासे विशेषता आती है। पुण्य और पापकी व्याख्या कर बताईये कि पुण्य प्रकृतियां एवं पाप प्रकृतियां कितनी व कौन कौनसी हैं ? सामायिक व स्वाध्याय पर तुलनात्मक विवेचन कर स्वाध्यायकी उपयोगिता वर्तमानमें क्यों अधिक मानी जाती है, संयुक्तिक विवेचन कीजिये। प्र.२. प्र.३. प्र.४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
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