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शंका समाधान [२०] शंका-शरीरके कितने भेद हैं ?
[२०] समाधान-शरीरके पांच भेद है-औदारिक, वैक्रियिक आहारक, तैजस और कार्मण। किन्तु संयोगसे ये पन्द्रह प्रकारके हो जाते हैं। यथा-औदारिक औदारिक, औदारिक तैजस,
औदारिक कार्मण, औदारिक तैजसकार्मण, वैक्रियिकवैक्रियिक वैक्रियिकतैजस वैक्रियिककार्मण, वैक्रियिकतैजसकार्मण, आहारक आहारक, आहारकतैजस, आहारककार्मण, आहारकतैजसकार्मण, तैजसतैजस, तैजसकार्मण और कार्मणकार्मण। औदारिक शरीरके स्कन्धोंका अन्य औदारिक शरीरके स्कन्धोंसे सम्बन्ध होनेपर औदारिक कहलाता है। इसीप्रकार तैजस, कार्मण या इन दोनोंके सम्बन्धके होनेपर कथन करना चाहिये। अन्य संयोगी भंगोमें भी इसी प्रकार कथन करना चाहिये।
यद्यपि औदारिक शरीरके रहते हुए वैक्रियिक शरीर नहीं होता है यह ठीक है, तो भी औदारिक शरीरके सद्भावमें आहारक शरीरतो होता है अतः औदारिक आहारक या आहारक औदारिक इस प्रकार संयोगी भंग कहना चाहिए था, पर नहीं कहा, सो इसका कारण यह है कि आहार शरीरके होनेपर औदारिक शरीरका उदय नहीं होता अत: औदारिक और आहारकका बन्ध नहीं प्राप्त होता।
यहाँ इतना विशेष जानना कि यद्यपि औदारिक वैक्रियिक या आहारक शरीरके रहते हुये तैजस और कार्मण शरीर नियमसे होते है तो भी इनके द्विसंयोगी और त्रिसंयोगी भडोके दिखलानेके लिये पृथक् पृथक् कथन किया।
[२१] शंका-अमपवर्त्य आयुका खास अभिप्राय क्या है ?
[२१] समाधान-अनपवर्त्यमें अन् और अपवर्त्य ये दो शब्द है इसलिये यह अर्थ हुआ कि जिसकी आयु घटने योग्य नहीं
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