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मोक्षशास्त्र सर्टीक अर्थ- आदिके तीन-(ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय) और अन्तराय इन चार कर्मोकी उत्कृष्ट स्थिति तीस कोडाकोड़ी सागरकी है।
नोट- मिथ्याद्दष्टि संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तका जीवके ही इस उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध होता है ' ॥१४॥
मोहनीय कर्मकी उत्कृष्ट स्थिति
सप्ततिर्मोहनीयस्य ॥१५॥
अर्थ- मोहनीयकर्मकी उत्कृष्ट स्थिति सत्तर कोड़ाकोड़ी सागरकी है ॥१५॥
नाम और गोत्रकी उत्कृष्ट स्थितिविंशतिर्नामगोत्रयोः ॥१६॥
अर्थ- नामकर्म और गोत्र कर्मकी उत्कृष्ट स्थिति बीस कोड़ाकोड़ी सागरकी है ॥ १६ ॥
आयु कर्मकी उत्कृष्ट स्थितित्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाण्यायुषः ॥१७॥
अर्थ- आयुकर्मकी उत्कृष्ट स्थिति तेतीस सागरकी हैं ॥१७॥ __ वेदनीयकर्मकी जघन्य स्थितिअपरा द्वादशमुहूर्ता वेदनीयस्य ॥१८॥ अर्थ- वेदनीयकर्मकी जघन्य स्थिति बारह मुहूर्तकी हैं ॥१८॥
1. एक करोडमें एक करोडका गुणा करनेपर जो गुणनफल आवे उसे कोड़ाकोड़ी कहते है। 2. दो घडी अर्थात् ४८ मिनटका एक महतं होता है।
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