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________________ पठ अध्याय इति श्रीमदुमास्वामिविरचिते मोक्षशास्त्रे पष्ठे ऽध्यायः ॥ प्रश्नावली योग किसे कहते हैं ? और उसके कितने भेद हैं ? अजीवाधिकरण आस्रवके भेद बताओ । जबकि आयु को छोड़कर शेष सात कर्मो का बन्ध प्रति समय होता रहता है तब प्रदोषादि विशेष २ कर्मो के आस्रव किस प्रकार हो सकेंगे ? [१] [२] [३] [४] [५] [६] [७] [८] [ १११ साम्परायिक और ईर्ष्यापथ आस्रवमें उदाहरण देकर भेद समझाओ । जबकि सम्यग्दर्शन मोक्ष का मार्ग है तब उसे देव आयुका कारण क्यों लिखा । एक मिथ्याद्रष्टि जीव विनयसम्पन्नता आदि पन्द्रह भावनाओं का पालन कर तीर्थंकर प्रकृतिका आस्रव कर सकता है या नहीं ? यदि नहीं तो क्यों ? इस संसार में क्या कोई ऐसे भी जीव हैं जिनके किसी भी कर्म का आस्रव नहीं होता हो ? नीचे लिखे हुए शब्दों के लक्षण बताओ निह्नव, सरागसंयम, बाल तप, योगवक्रता, अनुत्सेक, साधुसमाधि, अवर्णवाद, समारम्भ और ईर्यापथ आस्रव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
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