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मोक्षशास्त्र पटाक परत्वापरत्व- छोटे बड़े व्यवहारको परत्वापरत्व कहते है। जैसे२५ वर्षके मनुष्यको बड़ा और २० वर्षके मनुष्यको उसकी अपेक्षा छोटा कहते है।
ये सब कालद्रव्यकी सहायतासे होते हैं, इसलिये इन्हें देखकर अमूर्तिक निश्चय कालद्रव्यका अनुमान कर लेना चाहिए ॥ २२॥
पुद्गल द्रव्यका लक्षणस्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गलाः ॥२३॥
अर्थ- स्पर्श, रस, गन्ध और वर्णनवाले पुद्गल होते हैं। विशेष- ये चारों गुण हरएक पुद्गलमें एक साथ रहते हैं। इनके उत्तर भेद इस प्रकार है
स्पर्श के आठ भेद-१ कोमल, २ कठोर, ३ हलका, ४ भारी, ५ शीत, ६ उष्ण, ७ स्निग्ध और ८ रुक्ष।
रसके पांचभेद- १ खट्टा, २ मीठा, ३ कडूवा, ४ कषायला और ५ चरपरा।
गन्धके दो भेद- १ सुगन्ध, २ दुर्गन्ध।
वर्णके पांच भेद- काला, नीला, पीला, लाल और सफेद। ये बीस पुद्गलके गुण कहलाते हैं क्योंकि हमेशा उसीमें रहते हैं ।। २३॥
पुद्गलकी पर्यायशब्दबन्धसौम्यस्थौल्यसंस्थानभेदतम
श्छायातपोद्योतवन्तश्च ॥२४॥
अर्थ- उक्त लक्षणवाले पुदगल-शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थूलता संस्थान ( आकार), भेद, अन्धकार, छाया, आतप और उद्योत सहित हैं। अर्थात् ये पुद्गल की पर्याय हैं ॥ २४॥
पुद्गलके भेदअणवः स्कन्धाश्च ॥२५॥ अर्थ- पुद्गलद्रव्य के अणु और स्कन्ध इस प्रकार दो रुप हैं।
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