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सूक्तरत्नावली / 59
को प्राप्त करता है। मंगलग्रह मे गया हुआ सूर्य भी उच्चपद को प्राप्त करता है। कलावानपि हीनत्वं, कलयद्वक्रवेश्मगः । न नीचो वृश्चिकस्थः किं, बान्धवः कुमुदामभूत? ||213||
कलावान् व्यक्ति भी वक्ररास्ते को धारण करने पर हीनत्व को प्राप्त हाता है। क्या चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होने पर नीच नहीं होता है ? दोषायते गुण: क्वाऽपि, दोषः क्वाऽपि गुणायते। केशेषु शुभिमा दुष्टः, शिष्टस्तारासु कालिमा।।21411
कही गुण दोष बन जाते है तो कही दोष गुण बन जाते है। बालों में सफेदी दुष्ट होती है तो आँखों के तारो में कालिमा शिष्ट होती है, गुणवान् बन जाती है।
तुंगा: कार्यविशेषाय, मान्यन्ते तद्गुणप्रियैः। पोष्यन्ते दन्तिनो नूनं, दुर्गध्वंसाय पार्थिवैः ।। 215।।
उच्चव्यक्ति कार्यविशेष के लिए प्रशंसकों द्वारा माने जाते हैं। राजाओं द्वारा दुर्ग घ्वंस करने के लिए हाथियों का पोषण किया जाता है। तुच्छोऽपि हृद्यवादित्वा,-ज्जायते मानभाजनम्। किं कीरः कामीतां भुक्ति, नाप्नोति मधुरं ब्रुवन्? ||216 ||
हृदय को प्रसन्न करने वाली वाणी को बोलने पर हीन व्यक्ति सम्मान का पात्र हो जाता है क्या तोता मधुर बोलता हुआ अभिलाषित भोजन (मिष्ट भोजन) नही प्राप्त करता है ? नीचा अपि पीडितायां, स्वजातौ यान्त्यनिर्वृतिम्। पूत्कुर्वन्ति न कि काकाः, काके मृतिमुपेयुषि? ||217 ||
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