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________________ १४० (४) विक्रमादित्य के चरित्र से सम्बन्धित 'पञ्चदण्डातपत्रछत्र - प्रबन्ध' नामक चौथी कृति है। यह कृति सार्ध पूर्णिमागच्छ के अभयदेव के शिष्य रामचन्द्र द्वारा वि० सं० १४९० में लिखी गई थी। यह एक लघुकृति है। इसकी अनेक प्रतियां विभिन्न भण्डारों में उपलब्ध हैं। वेबर ने इसे १८७७ में बर्लिन से प्रकाशित भी किया है। (५) 'पञ्चदण्डात्मक विक्रमचरित्र' नामक अज्ञात लेखक की एक अन्य कृति भी मिलती है। इसका रचना काल १२९० या १२९४ है । (६) 'पञ्चदण्डछत्रप्रबन्ध' नामक एक अन्य विक्रम चरित्र भी उपलब्ध होता है, जिसके कर्ता पूर्णचन्द्र बताये गये हैं। (७) श्री जिनरत्नकोश की सूचनानुसार - सिद्धसेन दिवाकर का एक 'विक्रमचरित्र' भी मिलता है। यदि ऐसा है तो निश्चय ही विक्रमादित्य के अस्तित्व को सिद्ध करने वाली यह प्राचीनतम रचना होगी । केटलॉग केटागोरम भाग प्रथम के पृ० सं० ७१७ पर इसका निर्देश उपलब्ध है। यह अप्रकाशित है और कृति के उपलब्ध होने पर ही इस सम्बन्ध में विशेष कुछ कहा जा सकता है। (८) इसी प्रकार 'विक्रम नृप कथा' नामक एक कृति के आगरा एवं कान्तिविजय भण्डार, बड़ौदा में होने की सूचना प्राप्त होती है कृति को देखे बिना इस सम्बन्ध में विशेष कुछ कहना संभव नहीं है। (९) उपरोक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त 'विक्रम प्रबन्ध' और 'विक्रम प्रबन्ध कथा' नामक दो ग्रन्थों की और सूचना प्राप्त होती है। इसमें विक्रम प्रबन्ध कथा के लेखक श्रुतसागर बताये गये हैं । यह ग्रन्थ जयपुर के किसी जैन भण्डार में उपलब्ध है। (१०) 'विक्रमसेन चरित' नामक एक अन्य प्राकृत भाषा में निबद्ध ग्रन्थ की भी सूचना उपलबध होती है। यह ग्रन्थ पद्मचन्द्र नामक किसी जैन मुनि के शिष्य द्वारा लिखित है । पाटन केटलॉग भाग १ के पृ० १७३ पर इसका उल्लेख है। (११) 'विक्रमादित्य चरित्र' नामक दो कृतियां उपलब्ध होती हैं, उनमें प्रथम के कर्ता रामचन्द्र बताये गये हैं। मेरी दृष्टि में यह कृति वही है, जिसका उल्लेख 'पञ्चदण्डातपत्रछत्र - प्रबन्ध' के नाम से किया जा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001787
Book TitleJain Dharma Darshan evam Sanskruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages226
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size13 MB
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