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________________ जैन कथा-साहित्य:एक समीक्षात्मक सर्वेक्षण : ११७ युग से संस्कृत लेखकों की शैली का प्रभाव देखा जाता है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रबन्ध ग्रन्थ भी संस्कृत में लिखित हैं। संस्कृत के पश्चात् जैन आचार्यों का कथासाहित्य मुख्यत: अपभ्रंश और उसके विभिन्न रूपों में मिलता है, किन्तु यह ज्ञातव्य है कि अपभ्रंश में भी मुख्यतः चरितकाव्य ही विशेष रूप से लिखे गये हैं। स्वयम्भू आदि अनेक लेखकों ने चरितकाव्य भी अपभ्रंश में लिखे हैं- जैसे पउमचरिउ आदि। भाषाओं की अपेक्षा से अपभ्रंश के पश्चात् जैनाचार्यों ने मुख्यत: मरुगुर्जर अपनाया। कथा-साहित्य की दृष्टि से इसमें पर्व कथाएं एवं चरितनायकों के गुणों को वर्णित करने वाली छोटी-बड़ी अनेक रचनाएं मिलती हैं। विशेष रूप से चरितकाव्य और तीर्थमालाएं मरुगुर्जर में ही लिखी गई हैं। तीर्थमालाएं तीर्थों से सम्बन्धित कथाओं पर ही विशेष बल देती हैं। चरित, चौपाई, ढाल आदि विशिष्ट व्यक्तियों के चरित्र पर आधारित होती हैं और वे गेय रूप में होती हैं। इसके अतिरिक्त इसमें रासो' साहित्य भी लिखा गया है जो अर्ध-ऐतिहासिक कथाओं का प्रमुख आधार माना जा सकता है। आधुनिक भारतीय भाषाओं में हिन्दी, गुजराती, मराठी और बंगला में भी जैन कथा-साहित्य लिखा गया है। महेन्द्रमुनि (प्रथम), उपाध्याय अमरमुनि एवं उपाध्याय पुष्करमुनि जी ने हिन्दी भाषा में अनेक कथाएं लिखी हैं, इसमें महेन्द्रमुनिजी ने लगभग २५ भागों में, अमरमुनिजी ने ५ भागों में और उपाध्याय पुष्करमुनिजी ने १४० भागों में जैन कथाएं लिखी हैं। एक भाग में एक से अधिक कथाएं भी वर्णित हैं। ये सभी कथाएं कथावस्तु और नायकों की अपेक्षा से तो पुराने कथानकों पर आधारित हैं, मात्र प्रस्तुतीकरण की शैली और भाषा में अन्तर है। इसके अतिरिक्त उपाध्याय केवलमुनि जी और कुछ अन्य लेखकों ने उपन्यास शैली में अनेक जैन उपन्यास भी लिखे हैं। जहां तक मेरी जानकारी है वर्तमान में पांच सौ से अधिक जैन कथाग्रन्थ हिन्दी में उपलब्ध हैं और इनमें भी कथाओं की संख्या तो सहस्राधिक होगी। हिन्दी के अतिरिक्त जैन कथा-साहित्य गुजराती भाषा में भी उपलब्ध है, विशेष रूप से आधुनिक काल के कुछ श्वेताम्बर आचार्यों और अन्य लेखकों ने गुजराती भाषा में अनेक जैन कथाएं एवं नवलकथाएं लिखी हैं, यद्यपि इस सम्बन्ध में मझे विशेष जानकारी तो नहीं है फिर भी जो छिटपुट जानकारी डॉ० जीतेन्द्र बी० शाह से मिली है, उसके आधार पर इतना तो कहा जा सकता है कि गुजराती भाषा में जैन कथाओं पर लगभग तीन सौ से अधिक ग्रन्थ उपलब्ध हैं। गुजराती कथा लेखकों में रतिलाल देसाई, चुनीलाल शाह, बेचरदास दोशी, मोहनलाल धामी, विमलकुमार धामी, कुमारपाल देसाई, धीरजलाल शाह तथा आचार्य भद्रगुप्तसूरि, भुवनभानुसूरि, शीलचन्द्रसूरि, प्रद्युम्नसूरि, रत्नसुंदरसूरि, चन्द्रशेखरसूरि आदि प्रमुख हैं। इसके साथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001787
Book TitleJain Dharma Darshan evam Sanskruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages226
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size13 MB
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