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Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature
दीठा* :52 देवतांरी सेवा करता, गउ ब्रांमणनै पुजै*153 षटदरसणरां अतीतांनै पुजै*,54 विसनभगतां, नै अगनहोत्री दे*,55 गांम दे, गऊं दांन दे*,57 सुंच रहै*,58 सहस देवल दे*,5' [जिग] होमसामग्री दे,०० व्रत करै*,61 मास उपवास करै,62 पष उपवास करै,63 असत्री सु गमन न करै*,64 तीरथ करै,5 नित्य धर्म करै, जीवदया पालै*,67 मांन न करै*,68 मारग मै चालै* :69 तिके तो उतररै दरवाजै प्रवेस करता दीठा*।
हिवै दिक्षणरै दरवाजै प्रवेस करता कहुं छु* :71 कालाभमंग*,72 कुचीतो, इधक पैडो*। छुरीधार कांटा घणा* 174 ग्रीझण छै।5 पापी तिण पैडै जाय छै*16 मुदगरां सु मारीजै छै*17 हाय हाय करनै रह्या छै*78 ईसडा पापी दिषणरै दरवाजै प्रवेस करता दीठा*।"
एक अचंभो वले दीठो*18 नरकरा कुड दीठा। 1 तिणरा नाम कहुं छु* :2 कुभीपाक, अभीच, महारोरवंत*, पतीपाक*, अंगारांरी रास*, छुरीधार*, केषलछैल, असिमोचन*, अगनधार, महानंदी*, करमषुदाण*, कुंदणवसीकछैल*, घीरतपाक*, गुलपाक*, महाभयानक*, तपतवेलु, कीडांरो कुड*, तलजंत, दुषजंत*, विषकुप*, जमचोली*, पवीतरोहण*, सुररोहण*, संग्रांमरोहण*, लोहकार*, [महारोरवंत*,] तथा सूल*183
___ पराई लुगाई दीठां, नेत्र फोडै*,84 जुंठ बोलै, 5 जिणरी जीभ काट*186 सीह सिचांणा, बघेरा, स्याल, कुंतरा, सुंई, मुसा, विरह, (वाराह,) इसै उणां हारै जमदुत छै*187 . मै तो संषेप मात्र कह्या छै।
__इति सप्तमोध्याय संपूर्ण।" हिवै मै पाप करता दीठा। तिके कहु छु* :'
व्रम्हहित्या; गउहित्या*; पुत्रहित्या*; असत्रीहित्या; मित्रहित्या*; वेसासघाती*;' बालघाती; पराई असत्री कनै जाय*;' विरांमण होयनै, दारु पीवै; कुलरो नास करै*;' देवतांरो मालरो राषणहार*;? अभष भषै; अगमरी वात करै*;" झूठी साष भरै; अणदीठी कहै*;16 पराई थांपण राषै;” व्रतभंग करै*;18 आपरी त्यागै, पराई सु लागै*;" कपट बोलै;२० रसभेद करै*;21 पापभेद करै*;2 गांम, असत्री मारै* :13 ईसा तो मै अनेक पापो दीठा*124
अधरमी राजा दीठा*,25 धरमी दीठा*। सीम भांजै*,27 कुडो
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