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Nasaketari Kathā
उरवंसी कना सु मंगायनै सुघीयो ।' 7 तरै नासकारा पेड मै होयनै, वीर्य प्रवेस कीयो । " तरै राजाजी क्रोध करनै । वन मै मेल आया । " तठे चंद्रावती रुंदन करण लागी * 120 फिरती आय नीसरी * 1 21 तठै तिणबंध रषेसर आय नीसरीया* 1 22 तिण पुछीयो 23 'कन्या! तु कुण छै* ?124 तरै चंद्रावती को 25 हूं राजा रुंघरी बेटी छु । 26 मोनै विगर कीयां दोष लागो* । ' 27 तरै रषेस्वर दिलासा देन, बेटी कहिने, आपरै ऑश्रम ले गया * । 28 सो उठै छै* । '29
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राजाजी बोहत राजी हुवा | 30 वधाई बांटी, घणा उछाह कीया। 31 कवरांने मेंलने, चंद्रावतीनै उरी बुलाई * 1 3 2 विवाह भली भांत सु कीयो । मांगीयौ, सो डायजो दीयो* । 34 बेटीनै डाहिजो, दोहितानै भली भांत सुं देनै, आपरै आश्रम पोहचाया* 135
नासकेत मोटो हुओ* 136
एक दिनरै विषै नासकेतनै कंद मूलरै वासतै अगनहोत्रीरै वासतै मेलीयो थो*17 सो नासकेत वन मै गयो । तठै देषै, तो वलो वन छै*।' सरोवर भरीयो छै । 40 वन फल फूल रह्या छै । " दरषत मोरीया छै*।+2 मोर, चिकार, सारस, कोयल, अनेक भांतिरा जीनावर रहै छै । 43 रमणीक जागया देषनै, नासकेत जोग अभ्यास करण लागो * 144 जोग अभ्यास करतां, छ महीना लागा * 145 पाछो आयो, जरै उदालकजी क्रोध करनै बोलीया* : 46 रे पुत्र ! अगनहोत्रीरी भली षबर लीथी* 1 47 आपणै तो अगनहोत्री परसण कीधी चाहीजै ।' 48
तर नासकेतजी बोलीया * +9 'पिताजी! थे कही, सो भलां* : 50 पिण जोग मारग छै, सो मोटो पदारथ छै* !' 51
तरै उदालकजी क्रोध करनै, नासकेनै सराप दीयो*, 52 जे 'पुत्र ! अगननै निदै छै, तो जमलोक जा* ! ' 53
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तर चंद्रावती मन मै दलगीर हुई * : 54 'रषीसुंरजी ! थे बोहत बुरी कीनी* 155 आंपणे एकहीज पुत्र छै! 56 तरै उदालकजी बोलीया 57 'तु दलगीर मती हुवै* : 58 जम आपण आवै नही* ! 59 मोनै म्हारी तपस्यारो भरोसो छै*, 60 जे* जम आवै, तो षाली जाय ।" मारो पुत्र जमलोक जावै नही* 1 62 तरै नासकेत बोलीयो * ' 3 'पिताजी! हूं थांरो सराप साचो करसुं* 164 जमलोक माहे जायने, पाछो आवसूं* 165 थे मन मै दलगीर मती हुंवो* !" मारी काया रूडां राषज्यौजी* !67
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