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Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature
तरै नासकेत कह्यौ* :68 'गंगाजी सनांन करण गया छै*।'०१ तरै नासकेतनै रषेस्वर कह्यो* :7° 'थारी मातानै बुलाय ल्याव* :1 मारो पिता तोनै बुलावै छै* !'72
तरै चंद्रावती बोली* :73 रे पुत्र! थारी बुलाई कोई नाउ* !'4 हुं तो कन्या छू* !?s मोनै पिता के भाई देसी, तो आवसुं*76 तरै नासकेत आयनै कह्यो* !77 तरै उदालकजी नासकेतनै फेर पाछो मेलीयो* : वलै जाइनै पुछ* :' थारो बाप कुण छै*?७० नै पुत्र क्युं करनै हुवो छै*?'81 तरै नासकेत जायनै पुछीयो*182
तरै चंद्रावती कह्यो* :33 'हुं राजा रुंघरी बेटी छु*184 हुं गंगाजी दस हजार सहेलीयां सं गई थी*।'85 तलै कमलरो फुल तिरतो थको आय नीसरीयो*। सो मै मंगायने सुंघीयो*137 तिण सु मारै आधांन रह्यो। तरै मोनै वन मै मेल आया*।१ तरै हूं रुंदन करती थी*१० तठै तिणबंध रषेस्वर आय नीसस्या तिणा मोनै दिलासा देनै, आपरै आश्रम ले आया*। तरै महीना पुरा हुवा, जठै नासका पेड होयनै पुत्र हुओ।' नाम नासकेत दीधो*15 महीना तीनरो हुंवो जठै रुंदन करण लागो* तरै मै कठपिजरा मै घातनै गंगाजी माहे प्रवाह दीयो*197 - जै समाचार नासकेत उदालकजी आगै कह्या*। तरै उदालकजी कह्यो* 'फेर पाछो [2b] जायनै कहजे* :११ हुं राजा रुघ कनै कन्यादान मांगण- जाउ छु*11०० तुं थारे आश्रम जा*!101 तरै नासकेत चंद्रावतीनै कह्यो*।102 तरै चंद्रावती आपरै आश्रम गई*1103 नै उदालकजी राजा रुंघ कनै कन्यादान मांगणनै गया*1104
इति तृतीयोध्याय समाप्तं*105 रषेस्वर आवता देषनै, राजा रुंघ सांमो बहूत अस्तुति कीनी*।' आसण दीयो*।' प्रदक्षिणा देनै पुछीयो* : 'महाराज रषेस्वरजी! किंतरैक कांम पधारीया छो*?'4 तरै रषेस्वरजी बोल्यो* : मोनै कन्यादान द्यो* !' तरै राजाजी कह्यो* :' 'कन्या थी, पिण मर गई* हुंती। तो उजर कोई करता नही*।' तरै उदालकजी मांडनै वांत कही।
हुँ गंगाजी सनांन करण गयो थो*' तटै अपछरांरा रथ दीठा*। तरै मन चालीयो < नै वीरज पिंसीयो>113 सो तपस्यारो वीर्य धरती मेल्यो न जाय* तरै कमल तोड, वीर्य माहे घातिनै, गंगाजी माहे प्रवाह दीयो*115 सो तिरतो थको, आय नीसरीयो*16 सो चंद्रावती
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