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Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature
वीरज घातीयो।' उपर डाभ लपेटीयो*12 पछै गंगाजी माहे प्रवाह दीयो*13
सो फूल तिरतो राजा रुघा वंस]री नगरी हेढ़ आय नीसरीयो*14 तठे राजा रुघ[ वंस]री बेटी दस हजार सहेलीयां सुं [:] गंगाजी नित्य सनांन करणनै आई थी*15 एक ईद्ररी अपछरा, तिणनै सराप हूवो थो* सो राजा रुंघरै दासी हुई। सो दासी थकी। चंद्रावतीरा हीडा करै छै*198 नांम उरवंसी छै।" तिणनै चंद्रावती सनांन करती कह्यो* :100 'कमलरो फूल तिरतो जाय छै*,101 सो तु ले आव* !102 तरै उरवंसी ल्याई।103 चंद्रावती सूघीयो*104 तरै वीर्य नासका < पेड > होयनै प्रवेस कीयो*1105 [वीर्य ] एक महींनो नै दुजो महीनो हुंवै* :1०० तठै चंद्रावती फूल [[समी ]तुल ]ती थी।' ०7 सो फूल अद्भिका चढण लागा*/108
इति प्रथमोध्याय संपूर्ण। ०१ बाई चंद्रावतीनै दोष लागो*।' तरै राजाजीनै रांणी कह्योः। तरै राजाजी कह्योः' 'तरै चंद्रावती कनै दस हजार सहेलीयां रहती, तिणांनै काई हुंवो*?' तरै राजाजी उरवंसीनै बुजीयो* : 'थानै जतन करणरै वासतै राषी थी* सो थांनै कांई हुंवो*?” तरै उरवंसी बोली* : 'महाराजा कोई मांणसरो प्रवेस होय तो मारी जांवा* !' पिण परमेसरजीरी गतिं जाणी न जाय*।1० तरै राजा कह्यो* :11 'मास्यां, तो पाप हुंवै* !12 वनषंड माहे मेल आवी*।'13 तरै राजाजीरा चाकर बन मै मेल आया*14
सो चंद्रावती वन मै रंदन करती फिरै छै*115 तठै तिणबंध रषेस्वर आया। कंद मूलरै वास्तै आया था*। तरै चंद्रावतीनै रुंदन करती दीठी*" तरै रषेस्वर बोलीया* :18 'हे कन्या! तु कुंण छै*?" रुंदन क्यं करै छै*?'20 तरै चंद्रावती बोली* :21 हं राजा रुघा वंस री बेटी छु*। मोनै आगला भवरी कमाई [ कर्म] करनै दोष लागो* :13 अबकै भव तो षोटी कमाई कोई कीवी नही* 124
तरै रषेस्वर दिलासा देनै, आपरै आश्रम ले आया*125 बेटी करनै राषी*16 महीना पुरा हुंवा*,' जठै नासिका सु पुत्ररो जन्म हुवो*128 नांम नासकेत दीधो*19
___ इति दुतीयोध्याय संपूर्ण। महीना तीनरो हुंओ*,' जठै रुंदन करण लागो। तरै चंद्रावती क्रोध करनै। बालकनै कंठ पीजरा मै घातिनै, गंगाजी माहे प्रवाह दीयो।'
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