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Nāsaketari Katha
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बोलीया* मोनै कुण परणावै*?37 मै तो छयासी हजार बरस ब्रम्हचारी थकै तपस्या कीनी* !38 वले पिपलादजी बोलीया*।' पुत्र विना कुलनास होय*, पित्रदेवता दुष पावै* वेद कहै छै*40 : [तरै उदालक बोलीया*141 मोनै कुंण परणावसीः फेर पिपलादजी बोलीया*:43 "पुत्र विना कुलनास होय, पित्रदेवता दूंष पावै।"] असत्रीनै रितदान दीयारो दोष लागै नही*145 अगनपरसण करस्यो, तो अस्त्री आंणस्यो*16 तरै उदालकजी बोलीया* :47 मै तपस्या कीवी छै:48 देह दमण कीयौ छै* :49 तिणरो नास होसी* !50 फेर पिपलाद जी बोलीया* :51 'थांरा मन मै संदेह उपनो छै, तो थे ब्रम्हाजीनै पुछनै आवो*।52 ब्रह्माजी कहै, सो कीज्यो* !'53 इतरो कहनै पिपलादजी आपरै आश्रम आया*।54
पछै विस्वनोपाय रषेस्वरजी राजा जनमैजीनै कहै छै* :55
"उदालकजीरी तपस्या माहे भंग पड्यो। उदालकजी बोहत सोच करै छै* :57 'मोनै कन्या कुण परणावसी*?'58 तरै ब्रह्माजीरो ध्यान कीयो*।१ ब्रह्माजी कनै जायनै अस्तुति कीवी छै*160 हाथ जोडनै कह्यो* :61 मारै [ आश्रमै] पिपलादजी आश्रम आयनै कह्यो* :62 थारै अस्त्री नही सो अगनहोत्री न होय*64 पित्रदेवता त्रिपत न होय* :65 तु अस्त्री आंण* !66 तरै मै कह्यौ छै*67 'तपस्या कीवी छै* :68 तिणरो नाम होसी* !'69 तरै पिपलादजी कह्यो*70 'तु ब्रह्मजीनै पुछ* !1 ब्रह्माजी कहै सो कीज्यो*!'72 तरै हूं राज कनै आयो छु*। तरै ब्रह्माजी बोलीया* :74 'थारै पुत्र पैला आवसी*, नै भार्या पछै आवसी* !'75 तरै उदालकजी कह्यो* :76 'मै तपस्या कीवी छै: तिण मै भंग पडीयो छै* :7 सो राज मसकरी करो छो* !"78 तरै ब्रह्माजी बोलीयाः' 'रे पुत्र ब्रह्मवायक मिथ्यात [1b] न होय* !s° थारै रुघवंसरी असत्री आवसी* !'81 इतरो कहिनै ब्रह्माजी अंतरध्यांन हुवा* 182 उंदालकजी पाछा आया*183
पछै मन मै असचीरी अविलेषणा करण लागा* :34 'इसडी असत्री आवै, तो भली*, अतिरूपवंती:, सीलवंती:, उदारचिंतवंती:, निपुण मुधर बोलीः, बाहिर भीतर सुचवंती:, भरतार सुं प्रीतवंती*, भरतारनी [ कथन ] आग्या लोपै नही*।'85 उदालकजी मन मै ईसडी चिंतवणा करै छै*186
___ एक दिवसरै विषै गंगाजी सनांन करणरै वास्तै गया था*187 तरै अपछरांरा रथ दीठा*। तरै मन चालीयो, नै वीरज प्रिंसीयो। सो तपस्यारो वीरज धरती मै मेलीयो न जाय*।१० कमलरो फूल तोडनै, माहे
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