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________________ 236 Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature .... .... .... .... .... .... .... .... .... । स्थितैका तु गुर्विणी तत्सुतो ततः ।। 32 ।। अचीकरद्देवकुलं श्मशानेऽद्भुतमुच्छ्रितम् । तदिदानीं महाकालं जातं लोकपरिग्रहात् ।। 33 ।। अर्थात् “परन्तु एक ( पत्नी जो कि ) गर्भवती थी (गृहस्थावस्था में ) रही ।। 32 ।। । उनके पुत्र ने श्मशान में एक अद्भुत उच्च देवमन्दिर बनाया। वह अब ( अन्य धर्मी) लोगों से ग्रहण किया जाकर महाकाल ( मन्दिर ) बन गया है ।। 33 ।। तदनन्तर अवन्तिसुकुमाल का इतिहास 'दर्शनशद्धि'13 नामक ग्रन्थ में प्राकृत गद्य में और पूर्वोक्त कथा के अनुरूप श्री चन्द्रप्रभसूरि द्वारा ( ई. सन् 1093 में ) वर्णित है। यहाँ मृत्युस्थान को 'कंथारिकुडंगिसमीवे', अर्थात् 'कंथारिकुडंग के पास' और मृत शरीर को 'कुडंगाओ नेरइयदिसाए आसयट्ठियं' अर्थात् 'कुडंग से नैऋत्य दिशा के निकटवर्ती' बताया जाता है, जिन शब्दों का स्पष्टीकरण आगे किया जायगा। माता का नाम 'भद्दा' (भद्रा ) है। अपनी पुत्रवधुओं के साथ उनके क्षिप्रा नदी के किनारे पर विलाप करने का वर्णन दिया गया है। अन्त में देवताओं ने गन्धोदक बरसाने के साथ 'अहो महाकालो' अर्थात् 'वाह महान् मृत्यु' ऐसी आकाशवाणी सुनाई और बत्तीसवीं वधू के पुत्र ने पिउमरणठाणे काराविया पिउपडिमा । समुग्धोसियं महाकालोत्ति नामेण आययणं । तं च संपयं लोइएहिं परिगाहियं महाकालोत्ति विक्खायं ।। (अभिधानराजेन्द्रकोश, 'अवन्तिसुकुमार' शब्द के नीचे ) अर्थात् “पिता के मृत्युस्थान पर पिता की प्रतिमा बनवाई । स्मारक मन्दिर का नाम 'महाकाल' उद्घोषित किया। वह लौकिकों ( अन्य धर्मिओं) से ग्रहण किया जाकर अभी भी 'महाकाल' नाम से विख्यात है।" उसके पीछे श्री हेमचन्द्राचार्य कृत 'परिशिष्टपर्वन'14 रचित है ( ई. सन् 1160-72 ), जिसके ग्यारहवें सर्ग के अन्त में संस्कृत पद्य में अवन्तिसुकुमाल की मृत्यु का वर्णन आर्य सुहस्ती सूरि के जीवन-वृत्तान्त के अन्तर्गत पाया जाता है। इसका समस्त विवरण ‘दर्शणशुद्धि' से मिलता-जुलता है। केवल देवताओं का 'अहो महाकालो' पुकारना नहीं कहा गया है। अन्त में निम्नलिखित श्लोक है : गुळ जातेन पुत्रेन चक्रे देवकुलं महत् ।। अवन्तिसुकुमालस्य मरणस्थानभूतले ।। 176 ।। तद्देवकुलमद्यापि विद्यतेऽवन्तिभूषणम् । महामालाभिधानेन लोके प्रथितमुच्चकैः ।। 177 ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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