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मुद्रिकाएं
एसी गोलाकार रेखाएं, जो ग्रह को पूर्णतया घेर लेती हैं, मुद्रिकाएँ कहलाती है। मुद्रिका का अर्थ अंगूठी से है। अतः अंगूठी के आकार की किसी भी रेखा को मुद्रिका कहा जा सकता है।
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== बृहस्पति मुद्रिका । बृहस्पति मुद्रिका बृहस्पति की उंगली के नीचे बृहस्पति के तीन तरफ पायी जाती है। बृहस्पति के नीचे हाथ के किनारे से निकलकर व मुड़कर जीवन रेखा या मस्तिष्क रेखा पर मिलने वाली रेखा भी बृहस्पति मुद्रिका कहलाती है।
1. बृहस्पति मुद्रिका 2. शनि मुद्रिका 3. सूर्य मुद्रिका 4. राहू रेखा (क-ख) 5. शुक्र रेखाएँ 6. राहू रेखा (ग) 7. शुक्र रेखाएँ 8. मणिबंध व चन्द्र पर त्रिकोण
यह रेखा शुरू से गहरी व आगे से पतली होती चित्र : 24 है। समान मोटाई की होने पर दोषपूर्ण मानी जाती है। मुद्रिकाएं सभी लाभकारी होती हैं और व्यक्ति में तत्व सम्बन्धित विशेषता पैदा करती हैं, यदि ये टूटी-फूटी द्वीपयुक्त व अन्य किसी दोष से युक्त हों तो व्यक्ति में ग्रह सम्बन्धी अवगुण उत्पन्न करती हैं। मुद्रिकाएं उंगली के अधिक पास होना भी अच्छा नहीं माना जाता है। अतः मुद्रिकाएं जितनी ही दोषरहित व दूर होती हैं, उत्तम मानी जाती हैं।
बृहस्पति मुद्रिका अनेक हाथों में दो या तीन भी देखी जाती हैं। ऐसे व्यक्ति मनस्वी, ईमानदार, गम्भीर व साधक होते हैं। बृहस्पति मुद्रिका ट्टी होने पर व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा व अधिक सोचने वाला हो जाता है। उंगली के निकट मुद्रिका
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