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जीवन में मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा होने पर आरम्भ में विश्वास करता है और धोखा खाता है, परन्तु जोड़ का समय निकलने पर ऐसा नहीं होता। इस दशा में यदि भाग्य रेखा मोटी हो और हृदय रेखा भी गहरी हो तो ऐसे व्यक्ति विश्वास के कारण या यौन सम्पर्क के कारण बरबाद होते देखे जाते हैं। अंगूठा कम खुले या मोटा हो तो पूर्णतया बरबाद हो जाते हैं और जीवन में कई बार ऐसी गलतियां करते देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति स्त्रियों के चक्कर में अधिक आते हैं, अतः स्त्री होने पर पुरुष और पुरुष होने पर स्त्री इनकी विशेष कमजोरी होती है।
शुक्र उन्नत होने पर, उंगलियां लम्बी हों तो व्यक्ति मस्त होते हैं। घर की परवाह नहीं करते। अधिक समय मित्रों या बाहर समाज में बिताते हैं। ये समाज में बैठकर ऐसे कार्य कर लेते हैं जो इनके कुल या वंश के अनुरूप नहीं होते।
शुक्र पर तिल व्यक्ति के जीवन के विषय में अनेक सूचनाएं देता है। इस तिल से व्यक्ति के गुर्दे में पथरी होने की भविष्यवाणी की जा सकती है। जिस हाथ में शुक्र पर तिल होता है, उसके दूसरी ओर गुर्दे में यह दोष होता है। इनके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तथा घर में अनबन रहती है और अन्त में बिना साथी के ही रहना पड़ता है। स्त्री होने पर उसके पेट तथा गर्भाशय में रोग देखा जाता है। पुरुष होने पर ऐसा फल इनकी पत्नी के लिए कहा जा सकता है। कुछ भी हो, अन्त में तिल व्यक्ति को धनी बनाता है। यदि शुक्र पर उल्टी तरफ अर्थात् हथेली के दूसरी तरफ तिल हो तो ऐसे व्यक्ति की मां, दादी, पत्नी और अन्त में किसी सन्तान की पत्नी के स्वास्थ्य में दोष रहता है। ___ इसी तिल के फल से 25 वर्ष से भाग्योदय आरम्भ होता है व तत्पश्चात् आगे बढ़ते रहते हैं। शुक्र उठा या बैठा कैसा भी हो सकता है, परन्तु अन्य लक्षणों से इसका समन्वय अवश्य ही कर लेना चाहिए। शुक्र के ऊपर एक दूसरी रेखा को काटने वाली रेखाएं यदि जाली का निशान बनाती हो तो व्यक्ति अत्यधिक विलासी होते हैं। प्रतिदिन विलासरत होते हैं; अन्यथा उचाट व बेचैनी का आभास होता है।
शुक्र पर तारे का चिन्ह होने पर व्यक्ति 35 या 40 वर्ष के पश्चात् पूर्णतया नपुंसक हो जाता है। दोनों हाथों में होने पर इस सम्बन्ध में कोई शंका नहीं रहती। इस प्रकार शुक्र के फलादेश का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के सम्बन्ध में विशेष महत्व है। अत: भली-भांति सोचकर तथा अन्य लक्षणों से समन्वय करने पर ही फल कहना चाहिए।
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