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लक्षण पाये जात है। शनि व मंगल उत्तम होने पर व्यक्ति खनन, सर्वे, पर्वत या वन सम्बन्धी कार्य, साहसिक कार्य, अग्नि सम्बन्धी कार्य या अनुसंधान कार्य करने वाले होते हैं। साथ ही शनि क्षेत्र अधिक कटा-फटा होने की दशा में व्यक्ति को जीवन भर शान्ति नहीं मिलती। कोई न कोई झंझट जीवन में चलता रहता है।
शनि ग्रह पर सीढ़ी जैसी रेखाएं होने पर व्यक्ति को गठिया रोग हो जाता है, ऐसे व्यक्तियों के दांतों में खून आने की शिकायत रहती है या पायरिया हो जाता है। इस दशा में यदि शनि ग्रह अधिक उन्नत हो तो दांत टूट जाते हैं और वायु विकार रहता है। शनि स्थान पर यदि दो रेखाएं हृदय रेखा को काटें तो ऐसे व्यक्ति को कोई चौपाया पशु लात या सींग मारता है, जिससे व्यक्ति को काफी कष्ट उठाना पड़ता
शनि पर्वत पर तिल होने से सांप के काटने का खतरा रहता है। यदि जीवन रेखा से आकर कोई रेखा बृहस्पति मुद्रिका को काटती है तो, इन्हें सांप से अवश्य ही सावधान रहना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को स्वप्न या प्रत्यक्ष में सांप अधिक दिखाई देते हैं और इन्हें अग्नि और बिजली से भी भय रहता
शनि ग्रह पर यदि हृदय रेखा में त्रिकोण हो तो व्यक्ति उस आयु में सम्पत्ति का निर्माण करते हैं, परन्तु यदि यह त्रिकोण स्वतन्त्र हो तो आध्यात्मिक रूचि होती है। ऐसे व्यक्ति की आत्म-शक्ति विशेष उन्नत होती है। अन्त में ऐसे व्यक्ति सन्यासी हो जाते हैं। शनि की उंगली लम्बी होने पर निश्चय ही यह फल कहा जा सकता है। शनि पर त्रिकोण व शनि की उंगली टेढ़ी हो तो व्यक्ति खनन कार्य करते हैं।
शनि पर चतुष्कोण (देखें चित्र-19) हो तो ऐसे व्यक्तियों को अग्नि से भय होता है तथा कई बार बिजली के झटके लगते हैं। अतः इनको इससे सावधान रहना चाहिए। चतुष्कोण दांत भी खराब फल करता है, साथ ही आत्मशक्ति के उदय होने का चिन्ह है। परन्तु त्रिकोण जैसा फल यह चतुष्कोण नहीं करता। ऐसे व्यक्ति तन्त्र-मन्त्र आदि के जानकार होते हैं। हाथ में जितनी ही उत्तम रेखाएं निर्दोष होंगी, व्यक्ति को इस सम्बन्ध में अधिक फलदायक होंगी। शनि उन्नत होने के बजाय यदि बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति खनिज-लोहे आदि का व्यापार करते हैं। यदि शनि ग्रह दोनों ओर बृहस्पति व सूर्य ग्रहों से दब गया हो तो ऐसे व्यक्तियों को तेल या पेट्रोल, तिलहन के व्यापार से लाभ होता है। शनि ग्रह उत्तम होने पर व्यक्ति को पहले नौकरी करनी पड़ती है, परन्तु इस विषय में अन्य लक्षणों को भी समझ
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