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________________ शनि ग्रह को अकारात्मक तब समझना चाहिए जब व्यक्ति का जन्म 21 दिसम्बर और 21 जनवरी के बीच हुआ हो और कुछ हद तक यदि जन्म 28 फरवरी तक हुआ हो। इन तारीखों में जन्म लेने वाले लोग बलवान इच्छाशक्ति और मस्तिष्क के होते हैं। परन्तु अपने जीवन में अपने आपको एकांकी और दूसरों से अलग पाते हैं। भाग्य और परिस्थितियों के हाथों में वे खिलौने के समान होते हैं और बलवान इच्छा शक्ति होने पर भी वे उनपर अधिकार पाने में चित्र 8 शनि यह असमर्थ रहते हैं। स्वभाव से वे स्वतन्त्र विचार के होते हैं और उन्हें अपने ऊपर दूसरों का नियन्त्रण पसन्द नहीं आता। यदि उनके प्रति कोई स्नेह या सहानुभूति दिखाऐ तो वे उसके लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाते हैं, परन्तु, क्योंकि वे अपने आपको सबसे अलग पाते हैं, इसलिए उन्हें विश्वास नहीं होता कि उसका कोई ख्याल करता है। प्रेम और कर्त्तव्य के सम्बन्ध में उनका ऐसा विचित्र दृष्टिकोण होता है कि जो भी उनके निकट आना चाहता है, उसको सनकी समझने लगते हैं। अपने को धार्मिक न दिखाते हुए भी वे धार्मिक होते हैं और सदा जनसाधारण के लिए भलाई का काम करने के प्रयत्न में संलग्न रहते हैं। अपने जीवन के उत्तरदायित्वों को वे ऐसे गम्भीर रूप से लेते हैं कि परिणामस्वरूप वे निराशावादी हो जाते हैं। यदि धार्मिक होते हैं तो धर्मान्ध हो जाते हैं और अपने धार्मिक विचारों का विरोध सहन नहीं कर सकते। अध्यात्म और गुप्त विद्याओं में उनको आन्तरिक रूप से रूचि होती है, परन्तु इसमें भी वे सीमाओं का उल्लंघन कर जाते हैं। वे चतुर और बौद्धिक व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होते हैं। वे गम्भीर विचारक होते हैं, परन्तु अपने विचारों के प्रति विरोध को वे सहन नहीं कर सकते। वे प्रायः उच्च और उत्तरदायित्व के पदों पर आसीन होते हैं, परन्तु यह सब होते हुए भी सदा भाग्य पर अंधविश्वास रखते हैं। वे यही समझते हैं कि जो कुछ भी है वह विधाता की इच्छानुसार है और यदि उनके द्वारा हजारों आदमी नष्ट-भ्रष्ट हो जाये तो भी वे यही समझते हैं कि विधाता की ऐसी ही इच्छा थी। यदि कर्तव्य की वेदी पर उन्हें अपना बलिदान देना पड़े तो वे अपना जीवन दे देने में जरा भी संकोच नहीं करते। ऊपर दी हुई तारीखों में जन्म लेने वाले जातक विचित्र स्वभाव और दृढ़ आचरण के होते हैं। उनसे लोग स्नेह भी करते हैं और भयभीत भी रहते हैं। शनि ग्रह पर अधिक रेखाएं हों तो व्यक्ति में विशेष सोचना, निराश रहना आदि. 74 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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