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________________ अन्य ग्रह में नहीं होते । बृहस्पति ग्रह को अकारात्मक समझना चाहिए जबकि व्यक्ति का जन्म 2 नवम्बर और 20 दिसम्बर के बीच में और 29 दिसम्बर तक हुआ हो। ये व्यक्ति स्वभाव से महत्वाकांक्षी, निर्भीक और दृढ़ निश्चय वाले होते हैं। वे जो कुछ करते हैं, उसमें विरोध की परवाह नहीं करते। वे उसे पूर्ण एकाग्रता से करते हैं, वे सत्यनिष्ठ और उच्च सिद्धान्तवादी होते हैं और जो विश्वास उनके ऊपर किया जाता है, उसको पूर्ण करते हैं। वे धोखाधड़ी का घोर विरोध करते हैं, चाहे उनकी योजना नष्ट ही क्यों न हो जाए, वे धोखाधड़ी करने वालों का भण्डाफोड़ करके ही दम लेते हैं। वे सफल व्यापारी बनते हैं और अपनी योग्यता से उच्चतम शिखर पर पहुंच जाते हैं। वे सरकारी कार्यालय में उत्तरदायित्व के उच्च पद योग्यता के साथ सम्भालते हैं। वे राजनैतिक क्षेत्र में कम प्रविष्ट होते हैं, क्योंकि पार्टीबाजी और उससे सम्बन्धित योजनाऐं उनके स्वभाव के विपरीत होती हैं। अपना व्यवसाय और जीवन वृत्ति चुनने में वे स्वतन्त्र होते हैं। वे यह जरूरी नहीं समझते कि जो व्यवसाय उनके पिता कर रहे हैं, उसी में स्वयं भी लग जायें । यही कारण है कि अपने आरम्भिक जीवन में वे अपने माता-पिता के लिये चिन्ता का विषय बनते हैं। उनके माता-पिता के लिए यही उचित है कि ऐसे व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने में पूर्ण स्वतन्त्रता दे दें। इस प्रकार के व्यक्तियों में सबसे बड़ा दोष यह होता है कि वे अपने काम में इतना उत्साह और जोश दिखाते हैं कि सीमा को पार कर जाते हैं। इसके कारण प्रायः उन्हें हानि उठानी पड़ती है और वे अपने एक लक्ष्य को छोड़कर दूसरे लक्ष्य की ओर दौड़ने लगते हैं। परन्तु यदि मस्तिष्क की रेखा सुस्पष्ट हो और सीधी करतल को पार करती हो तो उत्तरदायित्व का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जिसके उच्चतम शिखर पर वे न पहुंच जायें। बृहस्पति पर क्रास, अधिक रेखाएं व चतुष्कोण हों तो व्यक्ति को टान्सिल, गला सूखना या गले में गरमराहट सी होना आदि बीमारियां होती हैं। जीवन रेखा में बृहस्पति के नीचे दोष होने पर ऐसा निश्चित ही कहा जा सकता है। बृहस्पति के नीचे चतुष्कोण या अन्य प्रकार की कोई रेखा हो तो ऐसे व्यक्तियों को कोई चीज गले में अटक जाती है। जिन व्यक्तियों की मृत्यु मछली का कांटा या गले में कुछ फंसने व सांस घुटने के कारण होती है, उनके हाथ में ऐसे ही लक्षण पाये जाते हैं। बृहस्पति पर चतुष्कोण व्यक्ति को हर खतरे से बचा कर रखता है। ऐसे व्यक्ति को अपने सम्मान का डर लगा रहता है, परन्तु उसकी मान हानि का अवसर जीवन में कभी नहीं आता। ऐसे व्यक्तियों को ससुराल अच्छी मिलती है। उससे लाभ होना या न होना मस्तिष्क रेखा की दशा पर निर्भर करता है। मस्तिष्क रेखा अच्छी होने Jain Education International 72 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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