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________________ के अवसर आते हैं। इस प्रकार से ग्रह उन्नत होने, उंगली तिरछी या मोटी होने पर व टूटी-फूटी सूर्य रेखा होने पर, व्यक्ति के जीवन में प्रसिद्धि व बदनामी दोनों के ही अवसर उपस्थित होते हैं। ___इस प्रकार ग्रहों की उत्तमता व निकृष्टता देखकर रेखाओं व अन्य लक्षणों के साथ इनका समन्वय करना एक उत्तम विवेचना का प्रमाण है। इससे फलों में पुष्टि ही नहीं वरन् उत्तम परिणाम की गारन्टी हो जाती है। कभी-कभी एक ग्रह दूसरे ग्रह की ओर झुका हुआ होता है। अर्थात् ग्रह अपनी उंगली के नीचे न होकर दूसरे ग्रह की ओर अधिक झुका पाया जाता है। इस प्रकार से झुकने वाले ग्रह में या जिस दूसरे ग्रह की ओर यह गया है, एक-दूसरे के गुण सम्मिलित हो जाते हैं। जैसे बुध का सूर्य की ओर झुकना व्यक्ति में बुद्धिमत्ता व चरित्र दोनों का ही परिचायक है। सूर्य की ओर जाने से व्यक्ति के होने वाले कार्य में बौद्धिक विशेषता होने का लक्षण है। ग्रहों का स्वरूप उत्तम होने पर यदि उंगलियां भी उत्तम हैं तो इस प्रकार उंगलियों में गिने जाने वाले वर्ष, जो कि आगे चल कर बताये जायेंगे, उत्तम तथा भाग्योदय कारक रहते हैं। ग्रह उत्तम न होने पर यदि उंगलियां भी तिरछी हो तो उस उंगली पर पड़ने वाले वर्षों का फल अच्छा नहीं रहता। साथ ही व्यक्ति में ग्रह सम्बन्धी विशेषताएं भी कम हो जाती हैं। उंगली के पोरों पर हम वर्षों की गणना करते हैं। इसकी गणना बुध की उंगली के हथेली के साथ वाले पोर को एक मान कर अंगूठे के अन्तिम अर्थात् नाखून वाले पोर को 15 तक गिनते हैं। 15 के बाद बायें हाथ की बुध की उंगली के हथेली के साथ वाले पोर से 16 गिनते हुए अंगूठे के अन्तिम पोर तक 30 वर्ष तक की गिनती की जाती है। इस प्रकार से पुनरावृत्ति 45 से 60 या 75 तक होती है। यदि दायें हाथ में बुध की उंगली सीधी न होकर तिरछी हो या इसमें आड़ी रेखाएं हैं, बुध का ग्रह भी उन्नत नहीं है तो व्यक्ति की जीवन में 1, 2, 3 वर्ष जैसे 31, 32, 33, 61, 62, 63 आदि वर्ष दोषपूर्ण और समस्या-कारक होते हैं। ___ इसके अतिरिक्त ग्रह अपने स्वतन्त्र फल भी वर्षों में करते हैं। अतः फलादेश बताते हुए आयु के साथ इन वर्षों का भी समन्वय कर लेना चाहिए। हाथ में जिस वर्ष में उंगली में आड़ी रेखाएं होती हैं वह वर्ष चिन्ता, मृत्यु या अनेक प्रकार के कष्टों का पाया जाता है। यदि उपरोक्त ग्रह भी दोषपूर्ण हैं, उंगली तिरछी भी हो तो विशेष कष्ट का सामना करना पड़ता है। ग्रहों के स्वतन्त्र वर्ष1. शनि- 19, 34, 35, 36, 37, 38, 39, 72, 73, 74 । 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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