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________________ जाता है। ऐसे व्यक्तियों की सन्तान भी उदार, धनी, बुद्धिमान एवं सफल होती है। बृहस्पति की उंगली लम्बी होने पर ये महत्वाकांक्षी अधिक होते हैं। अतः स्व-कल्याण की अधिक चिन्ता करते हैं। परोपकार करने के साथ अपना भी पूर्ण ध्यान रखते हैं। चपटा (चौड़ा) अंगूठा कई बार अंगूठा गोलाकार न होकर चपटा होता है अर्थात् अंगूठे का ऊपर का पोर चपटा या अधिक चौड़ा होता है। ऐसे व्यक्ति को कोई न कोई आदत जैसे शराब या तम्बाकू पीना होती है। ये खर्च भी अधिक करते हैं व हाथ लाल होने पर ऐसे व्यक्ति रोज ही नशा करते हैं। किसी न किसी दु:ख के कारण ऐसे व्यक्तियों को प्रत्येक काम में रुकावट होती है। पढ़ाई, व्यापार आदि सभी कार्यों में असन्तुष्ट रहते हैं। इनकी मस्तिष्क रेखा अच्छी होने पर भी ये स्वयं की ओर अधिक ध्यान देने वाले नहीं होते। अतः इनके परिवार में सभी उन्नति कर जाते हैं। और ये पीछे रह जाते हैं। इसका कारण केवल इनके कुटेंव हैं। यदि ऐसे व्यक्ति इस प्रकार की आदतें छोड़ दें तो दूसरे व्यक्तियों से भी अधिक उन्नति करने वाले देखे जाते हैं। जब तक ये नशा नहीं करते हैं तब तक परम चतुर होते हैं, परन्तु नशा करने के बाद परम मूर्ख होते हैं। इस दशा में यदि कोई इनकी सहायता भी करना चाहे तो इनसे दूर हो जाता है। उंगलियां छोटी, पतली व हाथ भारी होने पर नियन्त्रित नशा करते हैं और जीवन में सफल होते हैं। गांठदार व बिना गांठ का अंगूठा अंगूठा गांठदार होने पर व्यक्ति में निर्णय शक्ति तीव्र होती है। इस प्रकार के अंगूठे के बीच की गांठ मोटी पाई जाती है। ये पूर्णतया सफल नहीं होते परन्तु गांठदार उंगलियां होने पर निश्चय ही सफलता प्राप्त करते हैं। अंगूठा गांठदार तथा उंगलियां बिना गांठ की हों तो साधारण सफलता प्राप्त करते हैं, विशेष नहीं, क्योंकि आलसी व दूसरों पर निर्भर रहने वाले होते हैं। अंगूठा बिना गांठ का, एकदम चिकना व सुडौल हो तो ऐसे व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं। सोचते अधिक हैं व काम कम करते हैं। खराब परिस्थितियों में ऐसे व्यक्ति शीघ्र घबरा जाते हैं और काम को अधूरा छोड़ देते हैं। ऐसे व्यक्ति कोमल शरीर वाले होते हैं। लोक-लाज से डरने वाले होते हैं। कल्पनाशील व्यक्तियों, कलाकारों व साहित्यकारों के हाथों में ऐसे अंगूठे देखने को मिलते हैं। ऐसे व्यक्ति लोकोपकारक, धार्मिक व शुभ चिन्तक होते हैं, परन्तु आलसी व राजसी आदत के होते हैं। हाथ से काम करना व साधारण खान-पान ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं होता। साधारण नहीं खायेंगे, भूखे रह लेंगे, अतः ऐसे व्यक्ति देर में सफल होते हैं। 50 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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