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________________ पतला अंगूठा अंगूठा पतला होने पर व्यक्ति में नियन्त्रण शक्ति की । अधिकता होती है। ऐसे व्यक्ति क्रोध, भावुकता, वासना आदि दुर्गुणों पर भली-भांति नियन्त्रण रखते हैं। अंगूठा पतला होकर लम्बा भी हो तो दिखावे का क्रोध करते हैं, ऐसे व्यक्ति कहने-सुनने का बुरा नहीं मानते हैं। अगर इन्हें कोई बात चुभती चित्र : 10 भी है तो ये अपने मन में ही रखते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान, स्वयं को देखकर चलने वाले, ईमानदार, दयालु व शीघ्र निर्णय लेने वाले होते हैं। अत: जीवन में लगातार सफल होते चले जाते हैं। अंगूठा छोटा व टोपाकार होने पर भी यदि पतला हो तो इनके दुर्गुणों में किसी हद तक कमी हो जाती है। झगड़े या क्रोध के समय भी मस्तिष्क पर नियन्त्रण रखते हैं। ये सोचकर व परिणाम को देखकर काम व बात करने वाले होते हैं। ये समयानुकूल चलने के कारण जीवन में कभी असफल नहीं होते। दिन-दूनी व रात चौगुनी उन्नति करने वाले होते हैं। ये गलती को बार-बार नहीं दोहराते। एक बार महसूस करने के बाद उस कार्य को दुबारा नहीं करते। ये उत्तरदायी, अच्छे प्रबन्धक, सबसे अच्छा व्यवहार करने वाले तथा समाज में अच्छा स्थान रखने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का सभी सम्मान करते हैं। शुक्र सम, मस्तिष्क रेखा दोनों ओर शाखान्वित व हाथ का रंग गुलाबी हो तो ये वन्दनीय एवं देवतुल्य पुरुष होते हैं। अधिक खुलने वाला अंगूठा अगूंठा जब खुल कर हथेली से समकोण या अधिक कोण बनाता हो तो उसे हम अधिक खुलने वाला अंगूठा कहते हैं। ऐसे व्यक्ति सहज-गुणवान, बर्दाश्त करने वाले, धैर्य रखने वाले व महान होते हैं। अंगूठे का अधिक खुलना हाथ के मूल्य में वृद्धि करता है। चरित्र में होने वाले गुणों में इससे विशेषता आ जाती है और दुर्गुणों में कमी। अतः इस प्रकार के व्यक्ति लगातार व शीघ्र ही सफल होते देखे जाते हैं। ये क्रोधी नहीं होते। अन्य रेखाओं के प्रभाव से यदि कुछ समय तक क्रोध भी करें तो आगे चलकर इनका क्रोध पूर्णतया समाप्त हो जाता है। समाज में भी ऐसे व्यक्तियों को यथेष्ठ सम्मान मिलता है। ये किसी को भी गलत सलाह नहीं देते और ये जगतमित्र होते हैं। सभी से प्रेम करते हैं, शत्रुता किसी से भी नहीं होती। फलस्वरूप ऐसे व्यक्तियों के शत्रु नहीं होते। उदार होने के नाते पत्नी से अवश्य ही कुछ खटपट हो जाती है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति की पत्नी इन्हें अधिक सहायता करने व अधिक धन खर्च करने के लिए रोकती है। ये परोपकारी और धनी होते हैं। अपनी आवश्यकता को पूर्ण करके दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं। अतः उपरोक्त लक्षण हाथ में उत्तम गुण माना 49 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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