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________________ होती, तब तक मस्तिष्क में रोष बना रहता है। मोटा अंगूठा यदि लम्बा भी हो तो ऐसे व्यक्ति झगड़ा कम पसन्द करते हैं, परन्तु सिर पर आ जाने पर हिम्मत से लड़ने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी पक्ष अथवा विपक्ष में बोलना पसन्द नहीं करते, परन्तु यदि वास्तव में अन्याय होता है तो चिल्ला-चिल्ला कर न्याय का पक्ष लेने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति के गृहस्थ जीवन में कोई न कोई परेशानी खड़ी रहती है। सम्बन्धी, मित्र आदि में भी इनका विरोध होता है। किसी बच्चे का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। घर में खर्च अधिक रहता है। ऐसे व्यक्ति संतान संख्या पर भी नियन्त्रण नहीं रखते। उंगलियां पतली होने पर इस विषय में अवश्य ही सोचते हैं। कठोर या न झुकने वाला अंगूठा ऐसा अंगूठा लम्बा, मोटा, किसी भी प्रकार का हो सकता है, परन्तु यह पीछे की ओर नहीं मुड़ता। इस प्रकार का अंगूठा होने पर व्यक्ति मेहनती, ईमानदार व दृढ़ प्रतिज्ञ होते हैं। ऐसे व्यक्ति कोई भी निश्चय करने पर उसे मरते दम तक पूरा करने वाले होते हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर ये किसी भी कार्य को पूरा करके ही दम लेते हैं। ऐसे व्यक्ति खुलकर विरोध करने वाले होते हैं, अतः इनका भी विरोध होता है। ये स्वनिर्मित व संघर्ष के पश्चात् जीवन बनाने वाले होते हैं और निरन्तर सफल होते चले जाते हैं। घर में ऐसे व्यक्ति का व्यवहार अच्छा नहीं होता, पत्नी व बच्चों को दबा कर रखते हैं। इनकी सन्तान भी जिद्दी व स्वभाव की सख्त होती है। पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। अंगूठा पतला व लम्बा होने पर उपरोक्त लक्षण में पर्याप्त अच्छे गुणों का समावेश हो जाता है। मोटा व छोटा अंगूठा होने पर व्यक्ति में दुर्गुण अधिक आ जाते हैं। न झुकने वाला अंगूठा मोटा व छोटा भी हो तो ऐसे व्यक्ति अपमान का बदला अवश्य लेते हैं तथा मौके की तलाश में रहते हैं। पतला व लम्बा होने पर व्यक्ति उन्नतिशील, भाग्यशाली, अपने काम की ओर ध्यान रखने वाले, दूसरों का हस्तक्षेप सहन न करने वाले और निरन्तर उन्नति की ओर बढ़ने वाले होते हैं। अन्त में ये बहुत सफल होते हैं। सख्त व लम्बा अंगूठा फौज के अफसरों के हाथ में देखा जाता है। ऐसे व्यक्ति सत्यनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ और वफादार होते हैं। झुकने वाला (नरम व लचीला) अंगूठा. पीछे की ओर मुड़ने वाला व नरम अंगूठा सुलभ गुणों का परिचायक है। ऐसे व्यक्ति सबसे प्रेम करने वाले होते हैं। परन्तु जिससे ये नाराज हो जाते हैं, उससे जीवन 44 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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